सोशल मीडिया के क्रांतिकारी परिवर्तन ने बदली देश की मानसिकता

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेशनलिस्ट सोशल मीडिया कॉन्क्लेव में कहा
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज के युग में यदि आपको अपने विचारों का प्रसार करना है, अच्छे कामों को लोगों तक ले जाना है तो सोशल मीडिया अपरिहार्य है। इसने क्रांतिकारी परिवर्तन कर देश की मानसिकता बदली।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज उज्जैन में आयोजित नेशनलिस्ट सोशल मीडिया कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से नई क्रांति उत्पन्न हुई है। किसी भी विचार को प्रसारित करना हो, समर्थन अथवा राय बनानी हो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से यह सब हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया ने भारत के जीवन मूल्य, परम्पराएँ, महापुरुष और हमारे धर्म को इस तरह स्थापित किया है कि जो पहले प्रभु राम के अस्तित्व को नकारते थे, अब राम नाम की माला जप रहे हैं। माथे पर त्रिपुंड लगाकर महाकाल महाराज के चरणों में लेटे हुए हैं। आज के युग में यदि आपको अपने विचारों का प्रसार करना है, अच्छे कामों को लोगों तक ले जाना है तो सोशल मीडिया अपरिहार्य है। इसने क्रांतिकारी परिवर्तन कर देश की मानसिकता बदली है।
मां नर्मदा की कृपा से भरे हैं अन्न के भंडार
मुख्यमंत्री ने कहा कि माँ नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा हैं। उज्जैन में क्षिप्रा हैं। अटल जी का सपना था कि नर्मदा जी और क्षिप्रा जी को जोड़ा जाए। मध्यप्रदेश में हमने यह किया। नर्मदा जी की कृपा है, जिसके कारण मध्यप्रदेश में सिंचाई की क्षमता 45 लाख हेक्टेयर हो गई है और अब हमारा लक्ष्य इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर करने का है। मध्यप्रदेश के अन्न के भंडार भरे हैं, इसमें मैया की सबसे बड़ी कृपा है। आज से दो साल पहले मैंने नर्मदा जी के उद्गम स्थल अमरकंटक में संकल्प लिया था कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रतिदिन पौधरोपण करूंगा। कोविड काल में भी मेरा यह संकल्प अविराम जारी रहा।
प्रदेश में लिंगानुपात बढ़कर हुआ 978
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने का संकल्प सिद्ध करने के लिए मैंने लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि मध्यप्रदेश में लिंगानुपात हजार लड़कों पर 912 लड़कियों का था। अब यह बढ़कर 978 हो चुका है। मैंने बेटियों के विवाह के लिए कन्यादान योजना शुरू की, तो कहा गया यह कन्यादान हिंदू परंपरा का नाम क्यों ले रहे हैं? आप बताइए कन्यादान से बड़ा कोई पुण्य पुण्य कार्य है? बेटियों का घर बस जाए, इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है। हर व्यक्ति का सपना होता है कि जीवन में एक बार तीर्थदर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर ले। मैंने बुजुर्गों का यह सपना पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना शुरू की और देश के सभी प्रमुख तीर्थस्थलों तक के लिए तीर्थदर्शन योजना के तहत ट्रेन चलवाई।

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