नई दिल्ली । यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी यूसीसी पर देशभर में चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, लॉ कमीशन (law commission) ने आम लोगों और धार्मिक संगठनों से इसपर राय मांगी है. इस बीच यूसीसी का ड्राफ्ट उत्तराखंड (Uttarakhand) की बीजेपी सरकार (BJP government) 30 जून को विधानसभा (Assembly) में पेश करने वाली है. इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि उत्तराखंड में लागू होने वाले यूसीसी में क्या प्रावधान किए गए हैं.
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए मार्च 2022 में एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी और आम लोगों की प्रतिक्रिया और सुझाव मांगे थे. इसके बाद कमेटी को करीब 2 लाख 31 हजार सुझाव भेजे गए. इन्हीं सुझावों से यूसीसी का मसौदा तैयार किया गया है.
कमेटी की चीफ ने क्या कहा?
उत्तराखंड के यूसीसी पर दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के लोगों की राय जानने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए धामी सरकार की तरफ से बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी को लीड कर रही सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई भी शामिल हुई थीं. उन्होने इस दौरान कहा कि यूसीसी सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेगा. इसके साथ ही ये आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक भेदभाव से लड़ने में भी मददगार होगा.
ड्राफ्ट में क्या है?
जानकारी के मुताबिक, यह सुझाव दिया गया है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाए ताकि उन्हें ग्रेजुएट होने का मौका मिले. शादी का रजिस्ट्रेशन न होने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने और पति-पत्नी दोनों के पास तलाक के सामान अधिकार देने के अलावा सुझावों में बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक की बात भी कही गई है.
साथ ही उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा देने, पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी. इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का अधिकार भी मिलेगा. गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी. हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी. लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा. ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट होगा.
बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान करने और पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है.
लॉ कमीशन के बुधवार (14 जून) को यूसीसी पर लोगों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार और सुझाव मांगने पर कांग्रेस, टीएमसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार पर निशाना साधा और इसे आगामी लोकसभा चुनाव में मुद्दों से भटकाने का प्रयास बताया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि यूसीसी की देश को जरूरत नहीं है. बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा, ”2016 में इसी लॉ कमीशन ने कहा था कि 10 साल तक यूसीसी पर बात नहीं होनी चाहिए. ऐसे में लॉ कमीशन ने अपना नजरिया क्यों बदल लिया? बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में इसे एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है. यूसीसी की बात है तो देश को इसकी जरूरत नहीं है.”
शरद पवार ने क्या कहा?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार ने कहा कि जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी नागरिकों के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता है लेकिन यह जानने की जरूरत है कि क्या यूसीसी एक विशेष समुदाय को लेकर लक्षित है और तब हम (उस पर) बोल सकते हैं.
कांग्रेस क्या बोली?
कांग्रेस ने गुरुवार (15 जून) को आरोप लगाया कि विधि आयोग का समान नागरिक संहिता को लेकर उठाया गया नया कदम यह दर्शाता है कि मोदी सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण के अपने एजेंडे को वैधानिक रूप से जायज ठहराना चाहती है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विधि आयोग को अपनी विरासत का ध्यान रखना चाहिए और यह भी याद रखना चाहिए कि देश के हित भाजपा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग होते हैं.
जेडीयू ने किससे बात करने को कहा?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू यूसीसी के मुद्दे पर सहमति कायम करने के प्रयास की आवश्यकता पर बल देते हुए गुरुवार को कहा कि सभी पक्षों को विश्वास में लिया जाना चाहिए.
पार्टी प्रवक्ता के सी त्यागी ने सीएम नीतीश कुमार के 2017 में विधि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष बी एस चौहान को भेजे गये पत्र का हवाला दिया जिसमें कुमार ने कहा था कि यूसीसी को जन कल्याण हेतु सुधार के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि राजनीतिक उपाय के रूप में जिसे विचार विमर्श किए बिना लोगों की इच्छा के बिना उन पर थोप दिया जाए.
टीएमसी ने यूसीसी को 2024 से जोड़ा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने यूसीसी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो हताशा के कारण विभाजनकारी राजनीति को हवा दे रही है. पार्टी प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने ट्वीट किया कि सरकार महंगाई पर काबू पाने और रोजगार के नए मौके सृजित करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है.
ब्रायन ने कहा, ‘‘जब आप रोजगार नहीं दे सकते. जब आप महंगाई पर काबू नहीं पा सकते. जब आप सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ते हैं. जब आप किए गए किसी भी वादे को पूरा करने में नाकाम रहते हैं तो आप अपनी हताशा में 2024 से पहले गहरी विभाजनकारी के साथ आग को भड़का सकते हैं.