कांग्रेस आपराधिक घटनाओं की करेगी रिपोर्ट तैयार

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पटवारी ने कहा कि प्रदेश में बेलगाम बढ़ रहे अपराध
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश में अपराध बेलगाम बढ़ रहे हैं। अपराधी दलित, आदिवासी समाज को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम बीते तीन माह में घटित घटनाओं को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के माध्यम से हम सरकार को सबूत के साथ घटनाओं की जानकारी देंगे साथ ही सुझाव भी देंगे। हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वाह करेंगे।
पटवारी ने कहा कि महंगाई ने ग्रामीण इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। दिखावे की तमाम सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही गरीबी दूर करने का दावा कर रही हैं तथा जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। एनसीआरबी के साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश आत्महत्याओं के मामले में देश भर में तीसरे स्थान पर रहा था। कुल 14 हजार 965 लोगों ने उस साल आत्महत्या की थी, जो देश में सामने आए आत्महत्या के कुल मामलों का 9.1 प्रतिशत था, आत्महत्या की दर (17.8) राष्ट्रीय औसत (12) से भी अधिक थी। पटवारी ने कहा कि हम दो महीने की घटनाओं को लेकर एक व्हाइट पेपर बनाएंगे। इसको कैसे सुधारे, कांग्रेस पार्टी वो सुझाव देगी। हम उन लोगों में से नहीं हैं कि केवल रोज आरोप लगाना। मैंने जब भी कोई बात मुख्यमंत्री से कही तो सुझाव के साथ की। कभी नफरत और घृणा के साथ नहीं की।
कानून व्यवस्था के मामले में निचले स्तर पर पहुंचा प्रदेश
छिंदवाड़ा बोदल कछार गांव में युवक ने परिवार के ही 8 लोगों की हत्या कर फांसी लगा ली। आरोपी ने सबसे पहले पत्नी को कुल्हाड़ी से काटा, फिर एक-एक कर मां, बहन, भाई, भाभी, भतीजे और भतीजियों को मार डाला। जंगलराज की सभी पराकाष्ठा को पार कर चुका  मध्यप्रदेश कानून व्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने बड़ी संख्या में परिवारों को तनाव और अवसाद में धकेल दिया है।
आनंद की अनुभूति तो नहीं हुई, आत्महत्या का बढ़ा ग्राफ
पटवारी ने कहा कि सरकार ने पूर्व में आनंद विभाग खोलने की नौटंकी करके उसमें कई अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की थी, लेकिन इसकी असफलता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के लोगों को आनंद की अनुभूति तो हुई नहीं, उलटा आत्महत्याओं का ग्राफ बढ़ा है।  विभाग के गठन के समय राज्य का हैप्पीनेस इंडेक्स जारी करने को इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य बताया गया था. आईआईटी खड़गपुर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने के अलावा तत्कालीन अधिकारियों ने सरकारी खर्च पर भूटान के दौरे भी किए थे. लेकिन, तब से अब तक नतीजा ढाक के तीन पात’ ही रहा है।

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