कांग्रेस नेताओं से निकटता नहीं आ रही रास
भोपाल। इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापसी को लेकर भाजपा में एक बार फिर द्वंद छिड़ता नजर आ रहा है। दो वर्तमान विधायक इससे खफा नजर आ रहे हैं। खासकर इस पूरे मामले में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की टीम की सक्रियता के चलते। इन विधायकों को अब एक बार फिर अपने कद घटने की चिंता होने लगी है।
वैसे तो इंदौर में ताई और भाई यानि ताई पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और भाई कैलाश विजयवर्गीय के बीच हमेशा से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा रही है। लंबे समय से चली आ रही इस प्रतिस्पर्धा को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में काफी बल भी मिला। इस दौरान ताई का समर्थन तत्कालीन मुख्यमंत्री को मिलता रहा, जिसके चलते प्रदेश की राजनीति से कैलाश विजयवर्गीय ने दूरी सी बना ली थी। मगर एक बार फिर वे 2023 के विधानसभा चुनाव से सक्रिय हुए हैं। इस बार उन्होंने मालवा अंचल और खासकर इंदौर पर फोकस कर फिर अपने राजनीतिक दाव पेंच खेलने शुरू किए हैं। हाल ही में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम का नामांकन वापस कराकर दिल्ली तक उन्होंने वाहवाही लूटी है, मगर वे इंदौर के नेताओं के निशाने पर भी आते जा रहे हैं।
बताया जा रहा है ि कइस पूरे घटनाक्रम से खुद ताई और वर्तमान सांसद शंकर लालवानी खफा नजर आ रहे हैं। ताई तो अपने ही समर्थकों के बीच यह कह चुकी है कि जब हम यह सीट जीत ही रहे थे तो इतना बड़ा कदम उठाने की जरूरत क्या थी? ताई ने इस सीट पर 1989 में कांग्रेस के प्रकाशचंद सेठी को हराकर जीती थी। इसके बाद से अब तक कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए तरश रही है। इस बात का उदाहरण देकर ताई सहित दो वर्तमान विधायक मालिनी गौड और उशा ठाकुर विजयवर्गीय के इस कदम से खुश नहीं है।
इसलिए बढ़ रही है विधायकों की चिंता
सूत्रों की माने तो अक्षय कांति बम इंदौर क्षेत्र क्रमांक चार से आते हैं और यह क्षेत्र मालिनी गौड़ का है। इससे मालिनी और उनके पुत्र एकलव्य की िंचता बढ़ी है। इसके पहले इस क्षेत्र से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी राजा मंधवानी को भी भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। स्वाभाविक है कि कैलाश समर्थकों की नजरें अब इस सीट पर टिकी हुई है। वहीं दूसरी और उशा ठाकुर महू से विधायक है। यहां पर अंतरसिंह आर्य जोकि कांग्रेस से भाजपा में आए हैं । उन्होंने एक आयोजन महू में किया। इस आयोजन में वैसे तो उशा ठाकुर को भी बुलाया गया, मगर वे और उनके समर्थक पहुंचे नहीं। जबकि कैलाश और उनके समर्थक बड़ी संख्या में पहुंचे। इतना ही नहीं कैलाश ने दरबार की खूब प्रशंसा भी की। इससे उशा ठाकुर की नाराजगी बढ़ी है। विधायकों की मौन रहकर नाराजगी जाहिर है आने वाले समय में संगठन के लिए चिंता बढ़ाएगी। साथ ही इंदौर में एक बार फिर भाजपा में ताई और भाई के बीच प्रतिस्पर्धा को गहराएगी।
भोपाल। इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापसी को लेकर भाजपा में एक बार फिर द्वंद छिड़ता नजर आ रहा है। दो वर्तमान विधायक इससे खफा नजर आ रहे हैं। खासकर इस पूरे मामले में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की टीम की सक्रियता के चलते। इन विधायकों को अब एक बार फिर अपने कद घटने की चिंता होने लगी है।
वैसे तो इंदौर में ताई और भाई यानि ताई पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और भाई कैलाश विजयवर्गीय के बीच हमेशा से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा रही है। लंबे समय से चली आ रही इस प्रतिस्पर्धा को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में काफी बल भी मिला। इस दौरान ताई का समर्थन तत्कालीन मुख्यमंत्री को मिलता रहा, जिसके चलते प्रदेश की राजनीति से कैलाश विजयवर्गीय ने दूरी सी बना ली थी। मगर एक बार फिर वे 2023 के विधानसभा चुनाव से सक्रिय हुए हैं। इस बार उन्होंने मालवा अंचल और खासकर इंदौर पर फोकस कर फिर अपने राजनीतिक दाव पेंच खेलने शुरू किए हैं। हाल ही में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम का नामांकन वापस कराकर दिल्ली तक उन्होंने वाहवाही लूटी है, मगर वे इंदौर के नेताओं के निशाने पर भी आते जा रहे हैं।
बताया जा रहा है ि कइस पूरे घटनाक्रम से खुद ताई और वर्तमान सांसद शंकर लालवानी खफा नजर आ रहे हैं। ताई तो अपने ही समर्थकों के बीच यह कह चुकी है कि जब हम यह सीट जीत ही रहे थे तो इतना बड़ा कदम उठाने की जरूरत क्या थी? ताई ने इस सीट पर 1989 में कांग्रेस के प्रकाशचंद सेठी को हराकर जीती थी। इसके बाद से अब तक कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए तरश रही है। इस बात का उदाहरण देकर ताई सहित दो वर्तमान विधायक मालिनी गौड और उशा ठाकुर विजयवर्गीय के इस कदम से खुश नहीं है।
इसलिए बढ़ रही है विधायकों की चिंता
सूत्रों की माने तो अक्षय कांति बम इंदौर क्षेत्र क्रमांक चार से आते हैं और यह क्षेत्र मालिनी गौड़ का है। इससे मालिनी और उनके पुत्र एकलव्य की िंचता बढ़ी है। इसके पहले इस क्षेत्र से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी राजा मंधवानी को भी भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। स्वाभाविक है कि कैलाश समर्थकों की नजरें अब इस सीट पर टिकी हुई है। वहीं दूसरी और उशा ठाकुर महू से विधायक है। यहां पर अंतरसिंह आर्य जोकि कांग्रेस से भाजपा में आए हैं । उन्होंने एक आयोजन महू में किया। इस आयोजन में वैसे तो उशा ठाकुर को भी बुलाया गया, मगर वे और उनके समर्थक पहुंचे नहीं। जबकि कैलाश और उनके समर्थक बड़ी संख्या में पहुंचे। इतना ही नहीं कैलाश ने दरबार की खूब प्रशंसा भी की। इससे उशा ठाकुर की नाराजगी बढ़ी है। विधायकों की मौन रहकर नाराजगी जाहिर है आने वाले समय में संगठन के लिए चिंता बढ़ाएगी। साथ ही इंदौर में एक बार फिर भाजपा में ताई और भाई के बीच प्रतिस्पर्धा को गहराएगी।