समाज साधने की रणनीति पर काम कर रही भाजपा
भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा हर वर्ग को साधने में जुटी है। अजा, अजजा और ओबीसी के बाद अब उसकी नजरें सवर्णों पर टिक गई है। पिछले चुनाव में मिली हार के बाद इस बार खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सवर्णों को आकर्षित करने की कवायद शुरू की। उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री निवास पर राजपूत समाज का सम्मेलन कर कई घोषणाएं की और यह प्रयास किया कि यह वर्ग उनके साथ खड़ा हो जाए।
प्रदेष में विधानसभा चुनाव को लेकर वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अजा, अजजा और ओबीसी के अलावा अन्य समाज को साधने में जुटे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जिस तरह सतना में ओबीसी सम्मेलन किया, उसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने निवास पर सवर्ण सम्मेलन आयोजित कर राजपूत समाज के लोगों को बुलाकर कई घोषणाएं कर दी। मुख्यमंत्री ने एक-दो नहीं, बल्कि पूरे सोलह वादे क्षत्रियों से कर डाले। इसके साथ ही राजधानी में मनुआभान टेकरी पर रानी पद्मावती की प्रतिमा स्थापना के लिए भूमिपूजन भी कर डाला। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को आरक्षण देने का वादा भी क्षत्रियों से किया। ये सब वादे मुख्यमंत्री ने करणी सेना के विरोध के चलते किए गए, ताकि विधानसभा चुनाव में सवर्ण तबका भाजपा से दूर न जाए।
गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में भाजपा के लिए माई का लाल वाला नारा बड़ा संकट का कारण बना गया था। इस नारे के चलते ही सवर्ण समाज ने भाजपा से दूरी सी बना ली थी। इसके चलते उसे कई स्थानों पर हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फिर करणी सेना ने कल 8 मार्च को एटोसिटी एक्ट सहित अन्य मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। करणी सेना रविवार को राजधानी में महारैली कर रही है। इस रैली के आयोजन को सफलता न मिले, इसके चलते भाजपा इस बात की कवायद कर रही है कि किसी तरह सवर्ण मतदाता को आकर्षित किया जाए, ताकि सवर्णों की नाराजगी से बचा जा सके।