मुख्यमंत्री ने 406 एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में अब गौ वंश का अवैध परिवहन करने वाले वाहनों को राजसात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज राजधानी में गो-रक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाया गया है। गो-हत्या करने वाले को 7 साल और अवैध परिवहन पर कारावास का प्रावधान है। गो-वंश के अवैध परिवहन में लिप्त वाहनों को राजसात किया जाएगा। प्राकृतिक खेती के लिए गाय आवश्यक है। गोमूत्र और गोबर से ही घनामृत और जीवामृत बनते हैं। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिए 900 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस माह 22 हजार किसानों को योजना की किस्त जारी की जाएगी। जनजातीय भाई-बहनों को गो-पालन के लिए गाय खरीदने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से सीएनजी बनाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर में कार्य जारी है। प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।
406 एंबुलेंस को दिखाई हरी झंडी
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों एवं सभी विकासखंड के लिए 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया। उन्होंने कहा कि आज वह दिन आ गया है जब एम्बुलेंस केवल इंसान के लिए ही नहीं गो-माता और अन्य पशुओं के इलाज के लिए भी उपलब्ध होगी। एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक और सहायक उपलब्ध होंगे। आपात स्थिति में पशुओं के इलाज के लिए टोल फ्री नं. 1962 जारी किया गया है। बीमार पशु को अस्पताल तक ले जाना बड़ी समस्या होती थी।
जिलों में अपर कलेक्टर करेंगे गो-शालाओं का प्रबंधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में हर ग्राम पंचायत में गोशाला के बजाय बड़ी गो-शालाएँ विकसित करने पर भी राज्य शासन विचार कर रहा है। गो-शालाओं के सुचारू प्रबंधन के उद्देश्य से 4-5 ग्राम पंचायतों के लिए एक बड़ी गोशाला विकसित की जाएगी। प्राथमिक तौर पर प्रदेश में कुछ स्थानों पर मॉडल के रूप में ऐसी गो-शालाएँ विकसित की जाएंगी। इन गो-शालाओं की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कोई संस्था ले सकती है और संस्था को राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। जिन गो-शालाओं के साथ जमीनें संलग्न हैं और उन जमीनों पर यदि अतिक्रमण है तो उन्हें तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। गो-शालाओं को कांजी हाउस का दर्जा देने पर भी विचार भी किया जाएगा। गो-वंश की गणना भी की जाएगी। गो-शालाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके बेहतर प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।