स्वास्थ्य विभाग को चिकित्सा शिक्षा विभाग में किया मर्ज

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कैबिनेट बैठक में सभी जिलों में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस खोलने का लिया फैसला
भोपाल। सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आज स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक कर दिया है। आज मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इस फैसले पर मोहर लगा दी गई। अब मेडीकल कॉलेज और अस्पतालों की जिम्मेदारी एक विभाग एक मंत्री के पास रहेगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलने की अनुमति भी दी गई है।
कैबिनेट बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि आज बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक कर दिया गया है। दोनों विभाग एक होने से कार्यक्षमता बढ़ेगी। अब प्रदेश में मेडीकल कॉलेज और अस्पतालों की जिम्मेदारी एक ही मंत्री के पास रहेगी। वहीं वहीं एक अन्य फैसले में मप्र आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिसके तहत अब नर्सिंग और पैरामेडिकल की पढ़ाई भी आर्युवैदिक विश्वविद्यालय करा सकेंगे।  विजयवर्गीय ने बताया कि आज हुई बैठक में प्रदेश के सभी जिलों में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलने को अनुमति दी गई है। पुराने कॉलेजों को अपग्रेड किए जाने पर फैसला भी लिया गया है। इसके अलावा माल और सेवाकर संशोधन अध्यादेश 2024 पर भी मुहर लगा दी है। 6 महीने के भीतर विधानसभा में बिल न आने पर दोबारा अनुमोदन हुआ है।
अनुदान प्राप्त शिक्षकों को मिलेगा छठा वेतनमान
विजयवर्गीय ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में जनजातीय कार्य विभाग के अनुदान प्राप्त शिक्षकों को छठा वेतनमान देने का निर्णय भी लिया गया। इन शिक्षकों को हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी छठा वेतनमान देने के आदेश सरकार को दिए थे। इसके साथ ही सभी जिलों में एक पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना को भी मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी। ये सीएम डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है।
कैबिनेट बैठक में लिए अन्य फैसले
मल्हारगढ़ लिफ्ट इरिगेशन परियोजना को स्वीकृति दी गई है। यह परियोजना अशोकनगर के मुंगावली में स्थित है। जेपी बीना पावर कंपनी बेतवा नदी से लिफ्ट करेगी। जिससे 26 गांवों के 7500 हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
रतलाम के बैराज बांध पर भी मंझुलिया समूह जल परियोजना को मंजूरी दी गई है। 1 हज़ार से ज्यादा आदिवासी गांवों को पीने का पानी मिलेगा। 204 करोड़ की लागत से घर घर पीने का पानी सरकार पहुंचाएगी।
जल प्रदूषण निवारण अधिनियम 1974 में भी संशोधन को मंजूरी दी गई है। कोर्ट का अधिकार प्रदूषण कंट्रोल के अधिकारियों को दिया जाएगा। भारत सरकार को प्रस्ताव मप्र सरकार भेजेगी। छोटे छोटे मामलों की सुनवाई के अधिकार अधिकारियों को दिये जाएंगे।

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