प्रदेश में नहीं हो पा रहा नर्मदा जल का संपूर्ण उपयोग

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सरकार उदासीन, नीचे जाएगा जल स्तर : सिंह
भोपाल। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविन्द सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश की लाईफ लाईन एवं जीवित इकाई नर्मदा नदी के जल का संपूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश सरकार की उदासीनता के चलते प्रदेश में नहीं हो पा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्यों के बीच नर्मदा के मध्यप्रदेश कछार के जल बंटवारे के लिए भारत सरकार द्वारा सन् 1968 में गठित नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा वर्ष 1979 में म.प्र.,गुजरात, महाराष्ट्र एवं राजस्थान के मध्य जल का बंटवारा किया था जिसके अनुसार मध्यप्रदेश को 18.25 मिलियन एकड़ फीट, गुजरात को 9 मिलियन एकड़ फीट, महाराष्ट्र को 0.25 एकड़ फीट एवं राजस्थान को 0.50 मिलियन एकड़ फीट कुल 28.00 एकड़ मिलियन एकड़ फीट का बंटवारा किया गया था।
नर्मदा नदी पर मुख्य सहायक नदियां, जिनकी संख्या 41 है । इनमें से 19 सहायक नदियां दांये तट से तथा 22 सहायक नदियां बांये तट के नर्मदा से मिलती है। कुल 41 सहायक नदियों में से 39 सहायक नदियां मध्यप्रदेश में है। केवल दो सहायक नदियां नर्मदा से गुजरात में मिलती है। नर्मदा की उक्त सहायक नदियों पर अभी तक बांधों का निर्माण नहीं किया गया है, जिससे नर्मदा नदी का पानी बहकर गुजरात जा रहा है।
सिंह ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार की उदासीनता के चलते नर्मदा नदी की सहायक नदियों पर बांध बनाकर मध्यप्रदेश को आवंटित पूरी जल की मात्रा का उपयोग नहीं किए किया गया है, जिससे प्रदेश के नर्मदा कछार के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्र में जल का संकट उत्पन्न हो जाने से भूमिगत जल का स्तर भी अत्यन्त नीचे चला जाएगा । साथ ही जल की कम उपलब्धता के कारण जलाशयों के जलीय जीवों के जीवन पर संकट उत्पन्न होने के साथ ही पर्यावरण भी प्रभावित होगा और सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी नहीं मिलने से कृषि उत्पादन घट जाएगा, जिससे रोजी रोटी समस्या उत्पन्न होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

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