नए विधायक पूरे समय सदन में रहे, कम नहीं हो सत्रों की संख्या
भोपाल। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करना चाहिए। कानून सही है तो प्रतिपक्ष को उसका सहयोग करना चाहिए और सही नहीं है तो चर्चा करनी चाहिए। विधानसभा में सत्रों की संख्या घटना नहीं चाहिए। पहली बार के विधायकों को सदन में पूरे समय रहना चाहिए। सदन में अपनी बात रखते हुए जोश दिखाएं, लेकिन होश ना खोएं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात आज राज्य विधानसभा में विधायकों के दो दिवसीय प्रबोधन सत्र को संबोधित करते हुए कही। लोकसभा अध्यक्ष कहा कि विधानसभा में सत्रों की संख्या नहीं घटना चाहिए। पहली बार के विधायकों को ज्यादा बोलने का मौका सदन में मिलना चाहिए। श्रेष्ठ विधायक वही बन सकता है जो पूरे समय सदन में रहे। मेरा मानना है कि कानून सही है तो प्रतिपक्ष को सहयोग करना चाहिए। अगर सही नहीं है तो चर्चा करनी चाहिए। कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करें तो कानून बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की विधानसभा का गौरवशाली इतिहास रहा है, जिन्होंने ने संविधान बनाया उन डॉ. अंबेडकर की ये जन्मस्थली है। झांसी की रानी, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, अटलजी इसी धरती से आते हैं। हम सबको सौभाग्य मिला कि आप इस गौरवशाली विधानसभा के सदस्य हैं। जब हम लोकतंत्र के इतिहास को देखते हैं तो ये हमारे विचारों में हैं। ये आजादी से पहले का है। इसी के माध्यम से समाज मे सामाजिक परिवर्तन किया। लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में हैं।
अच्छा विधायक बनना जरूरी : तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हम सबके लिए प्रसन्नता का क्षण है। शुरुआत में चार दिन का सत्र था। उस समय जब हम बैठे तो हमें लगा कि जल्द ही प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। इसके लिए जरूरी था कि लोकसभा सचिवालय का सहयोग हमको मिले। हम सब निर्वाचित होकर विधानसभा में आए हैं। एक जनप्रतिनिधि बनना जरूरी है, अच्छा विधायक बनना भी जरूरी है। क्षेत्र की जनता की समस्या आपको सुलझानी होती है। अपने कृतित्व को अनुशासित करने की और नियमों में बांधने की जरूरत है।
विधानसभा नया पाठ सीखने की पाठशाला : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने कहा कि लोकसभा हो या विधानसभा हम एक बड़ी आबादी के माध्यम से लगभग 3 लाख या 2.50 लाख मतदाताओं का मान, सम्मान, भाव एवं विश्वास लेकर विधानसभा में आते हैं। विधानसभा में आने के बाद निश्चित रूप से हम सब दोहरे रूप में रहते हैं। हमारी विधानसभा का दायित्व तो हम पर है ही, साथ ही साथ प्रदेश की बेहतरी का दायित्व भी हम पर होता है। जब हम विधानसभा में प्रवेश करते हैं, तब यह विधानसभा जीवन में कई नए पाठ सीखने के लिए पाठशाला की तरह काम आती है। और इस पाठशाला के पाठ में हर सत्र हमारे लिए जीवन का नया पाठ बने यही आकांक्षा है।
सरकार को करना चाहिए जनप्रतिनिधियों के साथ न्याय
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंधार ने कहा कि विधानसभा में प्रश्नों की कसावट ज़रूरी है। विधानसभा में एक विधायक कठिन परिश्रम कर के आता है, उसे जनता के प्रति न्याय का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन हमें जन प्रतिनिधियों के साथ न्याय करना चाहिए। कुछ सालों में बैठकों का दौर कम हुआ है, एक समय था जब विधानसभा के पूछे गये प्रश्न का डर होता था, सरकार भी जवाबदारी से विधायकों के पक्ष में न्याय करती थी। हर बात को राजनीति से जोड़ना मेरा न मक़सद है और न मेरी सोच। मेरा मानना है की 5 साल में सिर्फ़ 15 दिन राजनीति होती है। मेरे लिए तो राजनीति जन सेवा माध्यम है।
भोपाल। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करना चाहिए। कानून सही है तो प्रतिपक्ष को उसका सहयोग करना चाहिए और सही नहीं है तो चर्चा करनी चाहिए। विधानसभा में सत्रों की संख्या घटना नहीं चाहिए। पहली बार के विधायकों को सदन में पूरे समय रहना चाहिए। सदन में अपनी बात रखते हुए जोश दिखाएं, लेकिन होश ना खोएं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात आज राज्य विधानसभा में विधायकों के दो दिवसीय प्रबोधन सत्र को संबोधित करते हुए कही। लोकसभा अध्यक्ष कहा कि विधानसभा में सत्रों की संख्या नहीं घटना चाहिए। पहली बार के विधायकों को ज्यादा बोलने का मौका सदन में मिलना चाहिए। श्रेष्ठ विधायक वही बन सकता है जो पूरे समय सदन में रहे। मेरा मानना है कि कानून सही है तो प्रतिपक्ष को सहयोग करना चाहिए। अगर सही नहीं है तो चर्चा करनी चाहिए। कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करें तो कानून बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की विधानसभा का गौरवशाली इतिहास रहा है, जिन्होंने ने संविधान बनाया उन डॉ. अंबेडकर की ये जन्मस्थली है। झांसी की रानी, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, अटलजी इसी धरती से आते हैं। हम सबको सौभाग्य मिला कि आप इस गौरवशाली विधानसभा के सदस्य हैं। जब हम लोकतंत्र के इतिहास को देखते हैं तो ये हमारे विचारों में हैं। ये आजादी से पहले का है। इसी के माध्यम से समाज मे सामाजिक परिवर्तन किया। लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में हैं।
अच्छा विधायक बनना जरूरी : तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हम सबके लिए प्रसन्नता का क्षण है। शुरुआत में चार दिन का सत्र था। उस समय जब हम बैठे तो हमें लगा कि जल्द ही प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। इसके लिए जरूरी था कि लोकसभा सचिवालय का सहयोग हमको मिले। हम सब निर्वाचित होकर विधानसभा में आए हैं। एक जनप्रतिनिधि बनना जरूरी है, अच्छा विधायक बनना भी जरूरी है। क्षेत्र की जनता की समस्या आपको सुलझानी होती है। अपने कृतित्व को अनुशासित करने की और नियमों में बांधने की जरूरत है।
विधानसभा नया पाठ सीखने की पाठशाला : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने कहा कि लोकसभा हो या विधानसभा हम एक बड़ी आबादी के माध्यम से लगभग 3 लाख या 2.50 लाख मतदाताओं का मान, सम्मान, भाव एवं विश्वास लेकर विधानसभा में आते हैं। विधानसभा में आने के बाद निश्चित रूप से हम सब दोहरे रूप में रहते हैं। हमारी विधानसभा का दायित्व तो हम पर है ही, साथ ही साथ प्रदेश की बेहतरी का दायित्व भी हम पर होता है। जब हम विधानसभा में प्रवेश करते हैं, तब यह विधानसभा जीवन में कई नए पाठ सीखने के लिए पाठशाला की तरह काम आती है। और इस पाठशाला के पाठ में हर सत्र हमारे लिए जीवन का नया पाठ बने यही आकांक्षा है।
सरकार को करना चाहिए जनप्रतिनिधियों के साथ न्याय
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंधार ने कहा कि विधानसभा में प्रश्नों की कसावट ज़रूरी है। विधानसभा में एक विधायक कठिन परिश्रम कर के आता है, उसे जनता के प्रति न्याय का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन हमें जन प्रतिनिधियों के साथ न्याय करना चाहिए। कुछ सालों में बैठकों का दौर कम हुआ है, एक समय था जब विधानसभा के पूछे गये प्रश्न का डर होता था, सरकार भी जवाबदारी से विधायकों के पक्ष में न्याय करती थी। हर बात को राजनीति से जोड़ना मेरा न मक़सद है और न मेरी सोच। मेरा मानना है की 5 साल में सिर्फ़ 15 दिन राजनीति होती है। मेरे लिए तो राजनीति जन सेवा माध्यम है।