भोपाल। विधानसभा के बजट सत्र के पहले कांग्रेस ने सरकार से आर्थिक स्थिति को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर डाली है। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति क्या है जनता को इसके बारे में मालूम होना चाहिए।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए यह मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही आर्थिक स्थिति ठीक होने का दावा करे, लेकिन वास्तविकता अलग है। आज हर वर्ग महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है। आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। ऋण लेकर सरकार काम चला रही है। इसका असर बजट पर भी नजर आने लगा है। सरकार अपनी आय का बड़ा हिस्सा ऋण और ब्याज के भुगतान में व्यय कर रही है। इससे अन्य योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि विभागों को नहीं मिल पा रही है। सरकार को बजट सत्र में श्वेत पत्र जारी कर आर्थिक स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण सरकार पर हो चुका है। बजट का 50 प्रतिशत हिस्सा केवल वेतन, भत्तों, ऋण के भुगतान और ब्याज अदायगी पर व्यय हो रहा है।
सत्र नहीं चलने देना चाहती सरकार
पटवारी ने कहा कि एक महीने के विधानसभा सत्र की शुरुआत होगी, लेकिन यह गुमराह करने की है। बैठक सिर्फ 13 दिन होगी, जबकि दिखाई एक महीना जा रही है। 13 दिन में 10 दिन बजट पर चर्चा होगी। यानी सत्र नहीं चलाने का पूरा प्रयास है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध है कि सत्र नहीं चलता तो अध्यक्ष की गरिमा भी गिरती है सत्र के इस तरह के प्रस्ताव की निंदा करता हूं।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए यह मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही आर्थिक स्थिति ठीक होने का दावा करे, लेकिन वास्तविकता अलग है। आज हर वर्ग महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है। आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। ऋण लेकर सरकार काम चला रही है। इसका असर बजट पर भी नजर आने लगा है। सरकार अपनी आय का बड़ा हिस्सा ऋण और ब्याज के भुगतान में व्यय कर रही है। इससे अन्य योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि विभागों को नहीं मिल पा रही है। सरकार को बजट सत्र में श्वेत पत्र जारी कर आर्थिक स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण सरकार पर हो चुका है। बजट का 50 प्रतिशत हिस्सा केवल वेतन, भत्तों, ऋण के भुगतान और ब्याज अदायगी पर व्यय हो रहा है।
सत्र नहीं चलने देना चाहती सरकार
पटवारी ने कहा कि एक महीने के विधानसभा सत्र की शुरुआत होगी, लेकिन यह गुमराह करने की है। बैठक सिर्फ 13 दिन होगी, जबकि दिखाई एक महीना जा रही है। 13 दिन में 10 दिन बजट पर चर्चा होगी। यानी सत्र नहीं चलाने का पूरा प्रयास है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध है कि सत्र नहीं चलता तो अध्यक्ष की गरिमा भी गिरती है सत्र के इस तरह के प्रस्ताव की निंदा करता हूं।