राजनीति भी अजीब है। पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कैलाशवासी माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे, अब भाजपा के संस्थापक सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी कांग्रेस के हाथ के साथ हो लिए। मध्यप्रदेश में यह भी अजीब संयोग होगा कि सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद माधवराव सिंधिया को भाजपा कार्यालय में जगह मिलने लगी है और इधर दीपक के आने के बाद कांग्रेस कार्यालय में गांधी-नेहरू परिवार के बीच कैलाश जोशी होंगे। जिस तरह जन्म दिन और पुण्यतिथि पर माधवराव भाजपा और कांग्रेस में याद किए जाते हैं, अब उसी तरह दोनों दलों में कैलाश जोशी भी याद किए जाएंगे। ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस छोड़ी थी तो पार्टी की सरकार भी चली गई थी, दीपक जोशी के आने के बाद भाजपा को कितना नुकसान होता है, यह समय बताएगा। क्योंकि जैसा समर्थन ज्योतिरादित्य के साथ है, दीपक जोशी के साथ नहीं है। ज्योतिरादित्य अपने समर्थक 19 विधायकों के साथ कांग्रेस में आए थे लेकिन दीपक जोशी के साथ कोई विधायक नहीं आया। साथ में जोशी के समर्थकों ने जरूर कांग्रेस ज्वाइन की है। दीपक जोशी की पूंजी सिर्फयह है कि वे राजनीति के संत कैलाश जोशी के बेटे हैं और खुद उन पर भी अब तक कोई दाग नहीं है।