कहा विधानसभा सत्र में उठाएंगे मुद्दा
भोपाल। नर्सिंग घोटाला मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि व्यापम के कलंक से बाहर नहीं आ पाए कि अब नर्सिंग का भी घोटाला सामने आ गया। कांग्रेस ने इस घोटाले को अगले विधानसभा सत्र में उठाने की बात कही है।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारने कहा कि व्यापम के कलंक से बाहर नहीं आ पाए, अब नर्सिंग का भी घोटाला सामने आ गया। जिसमें भाजपा के नेता भी शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी स्टूडेंट को हो रही है। एनएसयूआई मेडिकल विंग कॉर्डिनेटर रवि परमार ने कहा कि 100 बेड का अस्पताल, 2300 स्क्वायर फीट की जगह और टीचर्स की डेब. नर्सिंग की योग्यता होनी चाहिए। प्रदेश में फर्जी रजिस्टार की नियुक्ति की गई। भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से सुनीता सिदू को रजिस्ट्रार बनाया गया। परमार ने कहा कि हाइकोर्ट के आदेश के बाद इनको निलंबित किया गया, फिर भी सुनीता सिदू को सभी सुविधाए दी जा रही थी। ग्वालियर हाईकोर्ट ने परीक्षा पर रोक लगवाया, फिर सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। भाजपा के कई नेता इस घोटाले में शामिल है। प्रदेश में फर्जी फैकल्टी का भी घोटाला हुआ। एक ही फैकल्टी 1 दिन में प्रदेश के जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल में पढ़ा कर अन्य राज्यों में भी पढ़ा रहे थे। भोपाल का मलय नर्सिंग कॉलेज का अस्पताल 40 किलोमीटर दूर था, नियम 20 किलोमीटर का ही है।
नर्सिंग कॉलेज आफ इंडिया के मापदंडों के हिसाब से हो जांच
एमपी कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि प्रदेश का नर्सिंग वातावरण हनुमान जी की आठ सिद्धियां प्राप्त कर चुका हैं। नर्सिंग घोटाला अगले विधानसभा सत्र का सबसे महत्वपूर्ण विषय होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के समय सबसे ज्यादा मेडिकल नर्सिंग कॉलेज खोले गए। एक साल में 40 प्रतिशत नए कॉलेज खुले। हमको सीबीआई की जांच पर कोई विश्वास नहीं है। नर्सिंग कॉलेज ऑफ इंडिया के मापदंडों के हिसाब से जांच हो और सभी कर्मियों को एक समय के हिसाब से पूरा किया जाए।
ईडी भी दे सकता है दखल
सीबीआई अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने की घटना ने नर्सिंग घोटाले की जांच पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आशंका जताई जा रही है कि जिन कॉलेजों को सीबीआई की पिछली टीम ने उपयुक्त बताया था, उन कॉलेजों को रिश्वत देकर यह प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया था। इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी दखल दे सकती है. ईडी इस मामले में पीएमएलए के तहत अलग से मामला दर्ज कर सकती है, जिससे आरोपी अधिकारियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।