पेसा कानून को लेकर छिड़ी जंग, दो सांसद हुए आमने-सामने

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दिग्विजय ने कहा प्रमाण दें, नहीं तो मांगे माफी
भोपाल। पेसा कानून को लेकर राज्य के दो राज्यसभा सांसदों के बीच जंग छीड़ गई है। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने यह बहस छेड़ी है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में सबसे ज्यादा आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों के नाम की गई है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उनके इस आरोप को लेकर कहा है कि वे प्रमाण दें, नही ंतो माफी मांगे।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले शिवराज सरकार ने पेसा कानून लागू   कर आदिवासियों को भाजपा के साथ लाने का पूरा प्रयास किया है। इसे लेकर सरकार और संगठन दोनों ही आदिवासी अंचलों में पहुंचकर आदिवासियों को इसकी जानकारी भी दे रहे हैं। इस बीच इस कानून को लेकर एक और बहस छिड़ गई है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी ने सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पर हमला बोला। उन्होंने लिखा कि आदिवासी ज़मीन बिक्री की 170 बी की सबसे अधिक अवैध अनुमति 1993-2003 में मिली .! मामा शिवराज सिंह चौहान के पेसा नियम से सारी अवैध अनुमति भूमि वापस आदिवासियों को मिलेगी।  राघोगढ़ की आदिवासी भूमि भी भील राजा को होगी वापस।
सुमेर सिंह के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी उन्हें जवाब दे डाला। दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरासर झूठ बोल रहे हैं सुमेर सिंह सोलंकी जी आप। आप के पास कोई प्रमाण है क्या? अगले 15 दिन में प्रमाण दीजिए नहीं तो माफ़ी माँगिये। मध्यप्रदेश पहला राज्य था जिसने पेसा क़ानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया 1998 में शुरू कर ग्राम स्वराज अधिनियम लागू कर दिया था। सिंह ने चुनौती देते हुए कहा कि आप में साहस है तो मेरे साथ पन्ना चल कर देखिए भाजपा नेताओं द्वारा किस प्रकार आदिवासियों की भूमि पर धोखा दे कर अपने नाम से रजिस्ट्री करवा ली व क़ब्ज़ा कर लिया। जिस भाजपा के नेता ने क़ब्ज़ा किया है वह आपके अध्यक्ष वी डी शर्मा के ख़ास हैं।

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