भविष्य की हार को देखते हुए बौखला गए नेता प्रतिपक्ष

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अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के मुद्दे पर गरमाई सियासत
भोपाल। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार 75 हजार अतिथि शिक्षकों को 30 अप्रैल से घर बैठाने जा रही है। सिंघार के इस आरोप के बाद प्रदेश में सियासी पारा बढ़ने लगा है। सिंघार के बयान पर राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस की भविष्य में तय हार को देखते हुए बौखला गए हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के गर्माहट वाले माहौल में मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के बीच अतिथि शिक्षकों को लेकर 4 दिन से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर एक पोस्ट लिखते हुए उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, आपकी सरकार द्वारा 30 अप्रैल को 75 हजार अतिथि शिक्षकों को निकाला जा रहा है। सिंघार ने तत्काल इस फैसले रोक लगाने की मांग करते हुए लिखा कि यह प्रदेश के अतिथि शिक्षकों के जीवन का सवाल है। आपके इस निर्णय से चुनाव से पहले ही आपकी सरकार का झूठ सामने आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों को साल भर में स्थायी करने की  घोषणा की थी।
मंत्री ने भी दिया सोशल मीडिया पर जवाब
सिंघार के बयान के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने उमंग सिंघार के आरोपों का जवाब भी सोशल मीडिया पर ही दिया। उन्होंने लिखा कि प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस की भविष्य में तय हार को देखते हुए बौखला गए हैं। हमारे अतिथि शिक्षकों मित्रों को भ्रमित कर बरगलाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि प्रत्येक वर्ष शैक्षणिक सत्र 30 अप्रैल को समाप्त होता है।  उन्होंने लिखा  कि शैक्षणिक सत्र की समाप्ति होने पर हर साल अतिथि शिक्षकों की सेवाएं खुद समाप्त हो जाती हैं। नियमित शिक्षकों को भी ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रदान किया जाता है, क्योंकि इस दौरान स्कूल बंद रहते हैं. नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने पर आवश्यकता अनुसार दोबारा अतिथि शिक्षकों को रखा जाता है। मंत्री उदय प्रताप सिंह ने आगे लिखा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अतिथि शिक्षकों के साथ पूरे शैक्षणिक सत्र के लिए अनुबंध किए जाने की घोषणा की गई थी।  घोषणा के अनुरूप सभी अतिथि शिक्षक वर्तमान में कार्यरत हैं। किसी भी अतिथि शिक्षक को बीच में निकाला नहीं गया है।

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