राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजधानी में किया उत्कर्ष और उन्मेष उत्सव के शुभारंभ
भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि मध्यप्रदेश की जनजातीय विरासत अत्यंत समृद्ध है। यहां सर्वाधिक जनजातियाँ निवास करती है। हमारे सामूहिक प्रयास होने चाहिए कि हम अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखते हुए जनजातीय समुदाय के आधुनिक विकास में भागीदार बनें। नव उन्मेष से संयुक्त प्रतिभाएं भारत को समग्र विकास के उत्कर्ष तक ले जाएं। ’उन्मेष’ और ’उत्कर्ष’ जैसे आयोजन इस दिशा में तर्क संगत भी हैं और भाव संगत भी। ऐसा आयोजन एक सशक्त “कल्चरल ईको सिस्टम“ का निर्माण करेगा। मध्यप्रदेश शासन का इसमें सक्रिय सहयोग सराहनीय है।
राष्ट्रपति मुर्मु रवीन्द्र भवन में “उत्कर्ष और उन्मेष“ उत्सव के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रही थीं। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी और साहित्य अकादमी द्वारा संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से भोपाल में पहली बार 3 से 5 अगस्त तक भारत की लोक एवं जनजाति अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव “उत्कर्ष“ एवं “उन्मेष“ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सर्वाधिक यात्राएँ मध्यप्रदेश में हुर्ह हैं। मैं आज पाँचवीं बार मध्यप्रदेश की यात्रा पर आई हूँ। मैं मध्यप्रदेश के 8 करोड़ निवासियों को यहाँ मेरे आत्मीय स्वागत के लिए धन्यवाद देती हूँ।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि साहित्य का सत्य हमेशा इतिहास के सत्य ऊपर होता है। कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर और महर्षि नारद की रचनाओं में यह स्पष्ट है। साहित्य मानवता का आइना है, इसे बचाता है और आगे बढ़ाता भी है। साहित्य और कला संवेदनशीलता, करूणा और मनुष्यता को बचाती है। साहित्य और कला को समर्पित यह आयोजन सार्थक और सराहनीय है। उन्होंने कहा कि विश्व आज गंभीर चुनौतियों से गुजर रहा है। विभिन्न संस्कृतियों में समन्वय और आपसी समझ विकसित करने में साहित्य और कला का महत्वपूर्ण योगदान है। साहित्य वैश्विक समुदाय को शक्ति प्रदान करता है। साहित्य की कालातीत श्रेष्ठता से हर व्यक्ति परिचित है। विलियम शेक्सपियर की अमर कृतियाँ आज भी इसका प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य आपस में जुड़ता भी और जोड़ता भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि “उत्कर्ष“ जनजातीय समाज की उन्नति का उत्सव है। उन्होंने कहा कि जिस दिन भारत का जनजातीय समाज उन्नत हो जाएगा, उस दिन भारत विश्व में विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित हो जाएगा।
भारत की विभिन्न परंपराओं को जोड़ने का प्रयास
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में विभिन्न संस्कृतियाँ, 21 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ अनेकता में एकता के सूत्र से बनी माला के मनकों के समान एक साथ, एकजुट होकर रह रही हैं। राष्ट्रपति मुर्मु के आगमन से उन्मेष और उत्कर्ष के आयोजन की गरिमा बढ़ी है, समस्त प्रदेशवासी गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध भोपाल में दोनों कार्यक्रमों का आयोजन, साहित्य एवं कला-प्रेमियों के लिए निश्चित रूप से परम आनंद का विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 15 देशों के 550 से अधिक विभिन्न भाषाओं के रचनाकारों की 75 से अधिक कार्यक्रमों में सहभागिता का यह उत्सव, कला और संस्कृति की सभी परंपराओं के सामंजस्य का उत्सव बनेगा।
साहित्य, संगीत और कला ही, मन, बुद्धि और आत्मा का देता है सुख
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि हमें अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ’उन्मेष’ और लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के उत्सव ’उत्कर्ष’ जैसे भव्य और गरिमामय आयोजन की मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। भारत वह भूमि है, जिसने वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे भवन्तु निरामयः अर्थात सभी सुखी हों और सबके निरोग रहने का संदेश दिया। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ व्यक्ति के सुख के लिए मन, बुद्धि और आत्मा का सुख भी आवश्यक है। मनुष्य को यह सुख अगर कोई देता है, तो वह साहित्य, संगीत और कला ही है। आज बड़ी संख्या में गणमान्य साहित्यकार, कलाकार और संगीतकारों ने यहाँ अपनी उपस्थिति से शोभा बढ़ाई है।
भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि मध्यप्रदेश की जनजातीय विरासत अत्यंत समृद्ध है। यहां सर्वाधिक जनजातियाँ निवास करती है। हमारे सामूहिक प्रयास होने चाहिए कि हम अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखते हुए जनजातीय समुदाय के आधुनिक विकास में भागीदार बनें। नव उन्मेष से संयुक्त प्रतिभाएं भारत को समग्र विकास के उत्कर्ष तक ले जाएं। ’उन्मेष’ और ’उत्कर्ष’ जैसे आयोजन इस दिशा में तर्क संगत भी हैं और भाव संगत भी। ऐसा आयोजन एक सशक्त “कल्चरल ईको सिस्टम“ का निर्माण करेगा। मध्यप्रदेश शासन का इसमें सक्रिय सहयोग सराहनीय है।
राष्ट्रपति मुर्मु रवीन्द्र भवन में “उत्कर्ष और उन्मेष“ उत्सव के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रही थीं। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी और साहित्य अकादमी द्वारा संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से भोपाल में पहली बार 3 से 5 अगस्त तक भारत की लोक एवं जनजाति अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव “उत्कर्ष“ एवं “उन्मेष“ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सर्वाधिक यात्राएँ मध्यप्रदेश में हुर्ह हैं। मैं आज पाँचवीं बार मध्यप्रदेश की यात्रा पर आई हूँ। मैं मध्यप्रदेश के 8 करोड़ निवासियों को यहाँ मेरे आत्मीय स्वागत के लिए धन्यवाद देती हूँ।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि साहित्य का सत्य हमेशा इतिहास के सत्य ऊपर होता है। कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर और महर्षि नारद की रचनाओं में यह स्पष्ट है। साहित्य मानवता का आइना है, इसे बचाता है और आगे बढ़ाता भी है। साहित्य और कला संवेदनशीलता, करूणा और मनुष्यता को बचाती है। साहित्य और कला को समर्पित यह आयोजन सार्थक और सराहनीय है। उन्होंने कहा कि विश्व आज गंभीर चुनौतियों से गुजर रहा है। विभिन्न संस्कृतियों में समन्वय और आपसी समझ विकसित करने में साहित्य और कला का महत्वपूर्ण योगदान है। साहित्य वैश्विक समुदाय को शक्ति प्रदान करता है। साहित्य की कालातीत श्रेष्ठता से हर व्यक्ति परिचित है। विलियम शेक्सपियर की अमर कृतियाँ आज भी इसका प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य आपस में जुड़ता भी और जोड़ता भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि “उत्कर्ष“ जनजातीय समाज की उन्नति का उत्सव है। उन्होंने कहा कि जिस दिन भारत का जनजातीय समाज उन्नत हो जाएगा, उस दिन भारत विश्व में विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित हो जाएगा।
भारत की विभिन्न परंपराओं को जोड़ने का प्रयास
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में विभिन्न संस्कृतियाँ, 21 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ अनेकता में एकता के सूत्र से बनी माला के मनकों के समान एक साथ, एकजुट होकर रह रही हैं। राष्ट्रपति मुर्मु के आगमन से उन्मेष और उत्कर्ष के आयोजन की गरिमा बढ़ी है, समस्त प्रदेशवासी गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध भोपाल में दोनों कार्यक्रमों का आयोजन, साहित्य एवं कला-प्रेमियों के लिए निश्चित रूप से परम आनंद का विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 15 देशों के 550 से अधिक विभिन्न भाषाओं के रचनाकारों की 75 से अधिक कार्यक्रमों में सहभागिता का यह उत्सव, कला और संस्कृति की सभी परंपराओं के सामंजस्य का उत्सव बनेगा।
साहित्य, संगीत और कला ही, मन, बुद्धि और आत्मा का देता है सुख
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि हमें अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ’उन्मेष’ और लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के उत्सव ’उत्कर्ष’ जैसे भव्य और गरिमामय आयोजन की मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। भारत वह भूमि है, जिसने वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे भवन्तु निरामयः अर्थात सभी सुखी हों और सबके निरोग रहने का संदेश दिया। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ व्यक्ति के सुख के लिए मन, बुद्धि और आत्मा का सुख भी आवश्यक है। मनुष्य को यह सुख अगर कोई देता है, तो वह साहित्य, संगीत और कला ही है। आज बड़ी संख्या में गणमान्य साहित्यकार, कलाकार और संगीतकारों ने यहाँ अपनी उपस्थिति से शोभा बढ़ाई है।