जबलपुर। कार्यक्रताओं से संवाद कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सोमवार को जबलपुर पहुंचे। जहाँ उन्होंने मंडल सेक्टर कार्यकर्ताओं से संवाद कर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा। पूर्व सीएम ने कहा कि ‘शिवराज सरकार शासन नहीं चला रही है, निजी व्यवसाय कर रही है। यह निजी व्यवसाय किन लोगों का है? पार्टनरशिप कम्पनी किसकी है? यह कंपनी सीएम शिवराज और भाजपा मंत्रियों की है। इस कंपनी में कुछ नए शेयर होल्डर्स भी आ गए हैं जिन्हें महाराज भाजपा कहा जाता है। दलाल किस्म के भाजपा नेता, शिवराज कैबिनेट और नियमों के विरुद्ध भाजपा को समर्थन करने वाले अधिकारी-कर्मचारी… इनकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी प्रदेश में व्यवसाय की तरह सरकार चला रही है।’ मध्य प्रदेश में रेत का ठेका भाजपा के पास, माइनिंग भाजपा के पास, जबलपुर के पनागर के विधायक इंदु तिवारी का पीडीएस का पूरा व्यवसाय, गरीबों को मिलने वाला अनाज 50 से 60 प्रतिशत बाजार में बिक रहा है। एक शब्द उसके बारे में न तो मीडिया छाप रहा है न कोई उनके बारे में कुछ कहा रहा है। खुरई के भूपेंद्र सिंह, सुरखी के महाराज भाजपा के गोविन्द सिंह, गढ़ाकोटा में मंत्री जिस प्रकार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं वह गलत है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरुद्ध झूठे केस बनाए जा रहे हैं, मकान तोड़े जा रहे हैं, जेल भेजा जा रहा है।’
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘खंडवा के भाजपा सांसद खुलेआम कह रहे हैं कि भाजपा को वोट दो तो 1000 रू प्रति माह मिलते रहेंगे। वह स्पष्टतौर पर कानून का उलंघन कर रहे हैं। उन पर केस दर्ज क्यों नहीं किया गया? उनपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस देश के प्रधानमंत्री खुलेआम कह रहे हैं कि बजरंग बलि का नाम लेकर बटन दबाओ। क्या यह मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का उल्लंघन नहीं है? क्या यह रीप्रजेंटेशन ऑफ़ पीपुल्स एक्ट का उल्लंघन नहीं है? मैं चुनाव आयोग से पूछना चाहता हूं कि जब खुलेआम पीएम मोदी बजरंग बलि के नाम से बोट मांग रहे हैं तो आपने उनको नोटिस क्यों नहीं दिया? उनपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?’ देश में कानून का राज नहीं चल रहा है। मुझे इस बात का दुःख है कि जिस चुनाव आयोग से हम निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं वो सोनिया जी को नोटिस भेज रहा है लेकिन प्रधानमंत्री से कोई सवाल नहीं कर रहा है। क्या प्रधानमंत्री पर कानून लागू नहीं होता? नोटिस तो दीजिए, जवाब तो मांगिए कि क्या प्रधानमंत्री मोदी आज इस देश के संविधान, नियम और कानून के ऊपर हो गए हैं? शर्म आनी चाहिए इन सभी संवैधानिक संस्थानों को जो इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं।’