दिग्विजय ने कहा मेरे कार्यकाल में महिलाओं की स्थिति में आया था बदलाव
भोपाल। महिला आरक्षण बिल पास होते ही प्रदेश में महिलाओं को लेकर राजनीति भी होने लगी है। इसके चलते आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरे मुख्यमंत्रित्वकाल में कांग्रेस सरकार के द्वारा किए गए कार्यों के चलते प्रदेश में महिलाओं की स्थिति में बढ़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि हमने पंचायत चुनाव में महिलाओं को आरक्षण दिया था। शिक्षकों के लिए तीस प्रतिशत पदों पर आरक्षण की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1993 से 2003 के बीच कांग्रेस के शासनकाल के दौरान राज्य स्तर पर महिला नीति लागू करने वाला पूरे देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य बना था।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज अपने कार्यकाल का ब्यौरा देते हुए बताया कि प्रदेश में वर्ष 1993-2003 के बीच हमारी सरकार ने सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू की, जिसके तहत हमने त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण दिया था। हमारी सरकार ने सरकारी, अर्द्ध सरकारी, पंचायत, स्थानीय और सहकारी संस्था की नौकरियों में 30 प्रतिशत पदों को महिलाओं लिए आरक्षित किया था। अकेले स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 30 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हुई। उन्होंने बताया कि हमने प्रत्येक सहकारी संस्था के संचालक मंडल में भी महिलाओं को आरक्षण दिया था। हमारी सरकार ने स्वीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम में 50 प्रतिशत महिलाओं (शेष भारत में 40 प्रतिशत महिलाओं को सहायता देने के निर्धारित मापदंड से ज़्यादा) को सहायता देना अनिवार्य किया गया। इसी तरह पटवारी के लिए 30 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए थे।
तेंदुपत्ता मुंशियों के 50 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि कांग्रेस के 10 वर्षों के कार्यकाल में हमने तेंदुपत्ता मुंशियों के 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए सुरक्षित किए। यही नहीं वनोपज संग्राहकों के कार्ड में पति-पत्नी दोनों के नाम दर्ज करना अनिवार्य बनाया। तब यह व्यवस्था समूचे देश में सिर्फ मध्यप्रदेश में ही की गयी थी। उन्होंने बताया कि शिक्षा गारंटी स्कूलों में 47 प्रतिशत गुरुजी महिलाएं थीं। जिन शिक्षा गारंटी स्कूलों में दो गुरुजी थे वहां हमने एक महिला गुरुजी का होना अनिवार्य किया था।