मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने की घोशणा, इलाज की व्यवस्था भी करेगी सरकार
भोपाल। प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन बढ़ाने का फैसला लिया है। लोकतंत्र सेनानी अब दिल्ली में बने मध्यप्रदेश भवन में भी ठहर सकेंगे। जिलों में रेस्ट हाउस और विश्राम गृह में दो दिन पचास फीसदी ष्शुल्क देकर भी वे रह सकेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोशणा आज मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आपातकाल में भी लोकतंत्र सेनानियों ने भारत माता का जयघोष किया। सत्ताधीशों ने अपने आप को सत्ता में बनाए रखने के लिए लोकतंत्र का गला घोंटा गया, परन्तु लोकतंत्र सेनानियों ने बिना परिणामों की परवाह किए यातनाएँ और कष्ट सहे। उन्होंने देश की आजादी की तीसरी लड़ाई लड़ी। इस संघर्ष का सम्मान हमारा कर्तव्य और धर्म है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को प्रदान की जा रही 25 हजार रूपए की सम्मान निधि को बढ़ाकर 30 हजार रूपए प्रतिमाह किया जाएगा। जो लोकतंत्र सेनानी एक माह से कम अवधि के लिए बंदी रहे हैं, उनकी सम्मान निधि 8 हजार रूपए से बढ़ाकर 10 हजार रूपए की जाएगी। दिवंगतों के परिवारों को दी जाने वाली निधि भी 5 हजार से बढ़ाकर 8 हजार रूपए की जाएगी। लोकतंत्र सेनानियों को दिल्ली प्रवास के दौरान मध्यप्रदेश भवन में ठहरने की सुविधा होगी। जिलों के विश्राम गृह और रेस्ट हाउस में वे 2 दिन तक 50 प्रतिशत शुल्क देकर रह सकेंगे।
इलाज का खर्च भी उठाएगी सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी तरह की बीमारियों का सम्पूर्ण इलाज राज्य शासन द्वारा कराया जाएगा। शासकीय कार्यालयों में उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार हो, इसके लिए विशेष निर्देश जारी किए जा रहे हैं। लोकतंत्र सेनानियों को राज्य शासन की ओर से ताम्रपत्र प्रदान किए गए थे, जिन्हें ताम्रपत्र मिलना शेष हैं उन्हें भी तत्काल ताम्रपत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। लोकतंत्र सेनानी किसी भी तरह के कष्ट और परेशानी में अपने आप को अकेला न समझें, राज्य सरकार उनके साथ है।
लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में कई परिवार तबाह हुए। यह वह दौर था जब कोई अपील- कोई वकील- कोई दलील नहीं सुनी जाती थी। लोकतंत्र सेनानियों ने एक सिद्धांत, विचारधारा और संगठन के लिए यातनाएं सही, यह उस विचार का सम्मान था, जिसने लोकतंत्र को बचाया। आज इसी विचारधारा का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। वर्तमान में भी लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। जिनकी लोकतंत्र में आस्था नहीं है, जिनका भारतीय संस्कृति- मूल्यों और परम्पराओं से कोई लेना-देना नहीं है, उनसे सतर्क रहना जरूरी है।