पटवारी का मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मोहन भैया, अपने मध्यप्रदेश में नफरत की दुकान पर ग्राहक बिल्कुल नहीं आते हैं, पता नहीं आप इस दुकान में गुजरात का सामान क्यों भरना चाहते हैं। यहां प्रेम, विश्वास, भाईचारे का माहौल है। यह चुनाव भी थोड़े दिन में खत्म हो जाएंगे! फिर जुबान में ऐसा जहर क्यों?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि आका की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए आपने भी रंग बदल लिया। मुझे तो लगा था कि पहले दौर के मतदान से केवल मोदीजी ही डरे हुए हैं, आपकी आवाज और अंदाज में जो बदलाव दिखाई दे रहा है, वह भी उसी डर को जता-बता रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आपको हैडलाइंस के लिए भाषण ही देना है, या “पर्ची की खर्ची“ के रूप में भक्ति-गान को स्वर देना है, तो ’गुजरात घराने’ के पास ढेर सारे झूठे सपने हैं। थोड़े से आंकड़े, थोड़े से जुमले और साथ में नौटंकी का तड़का – सच में थोड़ी ताली तो मिल ही जाएगी, लेकिन, भगवान के लिए मध्यप्रदेश को ’घृणा का घर’ मत बनाइए। जो ’बुद्धिजीवी’ भाषण की पर्ची आपको दे रहे हैं, उन्हें भी थोड़ा समझाइए या बोलने से पहले पढ़ने की आदत डालिए। पद की गंभीरता समझिए, ओहदे के अनुसार अब आचरण भी कीजिए।
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मोहन भैया, अपने मध्यप्रदेश में नफरत की दुकान पर ग्राहक बिल्कुल नहीं आते हैं, पता नहीं आप इस दुकान में गुजरात का सामान क्यों भरना चाहते हैं। यहां प्रेम, विश्वास, भाईचारे का माहौल है। यह चुनाव भी थोड़े दिन में खत्म हो जाएंगे! फिर जुबान में ऐसा जहर क्यों?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि आका की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए आपने भी रंग बदल लिया। मुझे तो लगा था कि पहले दौर के मतदान से केवल मोदीजी ही डरे हुए हैं, आपकी आवाज और अंदाज में जो बदलाव दिखाई दे रहा है, वह भी उसी डर को जता-बता रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आपको हैडलाइंस के लिए भाषण ही देना है, या “पर्ची की खर्ची“ के रूप में भक्ति-गान को स्वर देना है, तो ’गुजरात घराने’ के पास ढेर सारे झूठे सपने हैं। थोड़े से आंकड़े, थोड़े से जुमले और साथ में नौटंकी का तड़का – सच में थोड़ी ताली तो मिल ही जाएगी, लेकिन, भगवान के लिए मध्यप्रदेश को ’घृणा का घर’ मत बनाइए। जो ’बुद्धिजीवी’ भाषण की पर्ची आपको दे रहे हैं, उन्हें भी थोड़ा समझाइए या बोलने से पहले पढ़ने की आदत डालिए। पद की गंभीरता समझिए, ओहदे के अनुसार अब आचरण भी कीजिए।