युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण के साथ मिलेगा स्टाइपेंड
भोपाल। चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग को साधने में जुटे हुए है। इसके तहत ही शिवराज कैबिनेट ने आज बुधवार को बेरोजगार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री सीखा-कमाओ योजना को मंजूरी दे दी। इसके लिए बेरोजगार युवाओं को आठ से दस हजार रुपये प्रतिमाह काम सीखने के दौरान दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारी भत्ता देना बेमानी है। इस वजह से हम बैसाखी नहीं बल्कि उड़ने के लिए पंख दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को बताया कि बेरोजगार बेटे-बेटियों के लिए एक नई योजना सीखो-कमाओ को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस योजना में काम सीखने के बदले पैसा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत 12वीं, आईटीआई, ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट पात्र होंगे। राज्य सरकार रोजगार के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, एक लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है। स्व-रोजगार के हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं। प्रतिमाह रोजगार दिवस किया जा रहा है। हमारा संकल्प है कि युवाओं को बेरोजगार नहीं रहने देंगे। इस उद्देश्य से युवाओं को रोजगार के लिए कौशल सिखाने नई योजना लागू की जा रही है। युवाओं को कौशल सीखने के साथ भुगतान भी किया जाएगा। कौशल प्रशिक्षण के लिए कंपनियों और सर्विस सेक्टर को जोड़ा जाएगा। बेरोजगारी भत्ता बेमानी है। नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोजगार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें।
15 जून से होगा युवाओं का पंजीयन
योजना में युवाओं को प्रशिक्षण देने वाले प्रतिष्ठानों का पंजीयन 7 जून से और काम सीखने के इच्छुक युवाओं का पंजीयन 15 जून से शुरू होगा और प्लेसमेंट 15 जुलाई से आरंभ होगा। कार्य सीखाने वाले प्रतिष्ठान और राज्य शासन के बीच 31 जुलाई से अनुबंध की कार्यवाही होगी। एक अगस्त से युवा, कार्य आरंभ कर देंगे। यह क्रांतिकारी योजना युवाओं को बैसाखी पर चलना नहीं, अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएगी। कार्य से सीखने की अवधि में युवाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
18 से 29 वर्ष के युवा होंगे पात्र
योजना में कम से कम एक लाख युवाओं को प्रतिष्ठानों में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी, 18 से 29 वर्ष के युवा, जिनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं अथवा आईटीआई या उच्च है, वे योजना में पात्र होंगे। प्रशिक्षण के बाद मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड द्वारा स्टेट कॉउसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। योजना से युवाओं को प्रशिक्षण के साथ स्टाइपेंड मिलेगा, कौशल उन्नयन से उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और कमाई का बेहतर मार्ग प्रशस्त होगा।
10 हजार रूपए तक होगा स्टाइपेंड
प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि योजना से देश और प्रदेश के प्रतिष्ठित औद्योगिक तथा निजी संस्थानों को जोड़ा जाएगा। प्रतिष्ठान के पास पैन नंबर और जीएसटी पंजीयन होना आवश्यक होगा। प्रतिष्ठान अपने कुल कार्यबल के 15 प्रतिशत की संख्या तक छात्र प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकेंगे। योजना में 12वीं उत्तीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को 8 हजार रूपए, आईटीआई उत्तीर्ण को 8 हजार 500 रूपए, डिप्लोमा उत्तीर्ण को 9 हजार रूपए और स्नातक उत्तीर्ण या उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों को 10 हजार रूपए प्रतिमाह स्टाइपेंट दिया जाएगा। स्टाइपेंड की 75 प्रतिशत राशि राज्य शासन की ओर से प्रशिक्षणार्थी को डीबीटी से भुगतान की जायेगी। संबंधी प्रतिष्ठान को निर्धारित न्यूनतम स्टाइपेंड की 25 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थी के बैंक खाते में जमा करानी होगी।