अपने एक बयान के कारण कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री राजा पटैरिया मुसीबत हैं। मुसीबत ऐसी कि जेल की हवा खा रहे हैं। भाजपा विरोध करे बात समझ में आती है, क्योंकि पटैरिया एक शब्द बोले ही ऐसा। पर क्या पटैरिया का कसूर इतना बड़ा है कि कांग्रेस भी अपने इस पुराने नेता से पल्ला झाड़ ले। उन्होंने पार्टी की एक बैठक में भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा था कि इनसे निजात के लिए ‘हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना पड़ेगी, इन द सेंस उन्हें हराना होगा।’ उनके कथन में दोनों बाते हैं। एक ‘मोदी की हत्या करना होगी’, घोर आपत्तिजनक और दूसरा ‘इन द सेंस हराना होगा’, उनकी राजनीतिक मंशा जाहिर करता है। भाजपा पहले शब्द का विरोध करे, उसे भुनाए, उसका हक है लेकिन बाद के शब्दों में उनकी मंशा देखकर कांग्रेस को तो अपने नेता के साथ खड़ा होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तत्काल पटैरिया के बयान से खुद को अलग किया। उनका व्यक्तिगत बयान बताया, उसकी निंदा की। अब जब पटैरिया जेल में है तब भी नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह को छोड़कर समूची कांग्रेस चुप है। ऐसा कर पार्टी पटैरिया को अरुणोदय चौबे के रास्ते जाने को मजबूर कर रही है। हालांकि गोविंद सिंह पटैरिया के साथ खड़े हैं और कह रहे हैं कि उन्हें जेल में प्रताड़ित किया जा रहा है।