फिर संगठन को मजबूत करने की जुटे पदाधिकारी
भोपाल। प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक लगातार गिर रहा है। 2003 में जहां इसका वोट बैंक प्रदेश में 7.26 फीसदी था, जो 2018 के विधानसभा में गिरकर 5.1 रह गया है। गिरते वोट बैंक को देख फिर से बसपा ने प्रदेश में संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम करना शुरू किया है।
प्रदेश के विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में पहले बसपा का खासा प्रभाव रहा है। इन्हीं अंचलों में बसपा के प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे, मगर साल-दर-साल अब बसपा का प्रभाव प्रदेश में कम होता जा रहा है। वर्तमान में हालात यह है कि उसका संगठन बिखरा-बिखरा नजर आ रहा है। पिछला इतिहास देखा जाए तो प्रदेश में 1993 के विधानसभा में बसपा के 11 विधायक थे। साल 1998 में भी पार्टी के 11 विधायकों ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के दो विधायक जीते थे, लेकिन उसे 7.26 प्रतिशत वोट मिले थे। 2008 में उसे 8.97 प्रतिशत मत मिले और सात विधायक जीते थे। 2013 में 6.29 प्रतिशत वोटों के साथ चार विधायक बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। 2018 में वोट का आंकड़ा कम होकर 5.1 फीसदी रह गया। उसके दो विधायक विधानसभा पहुंचे, मगर एक ने पाला बदलकर भाजपा का साथ दिया।
बसपा के गिरते वोट बैंक को देख अब फिर से प्रदेश ने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू की है। प्रदेश संगठन भी इन दिनों अपने प्रभाव वाले क्षेत्र विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल में सक्रिय हुआ है। संगठन ज्यादातर कार्यक्रम इन्हीं अंचलों में कर रहा है। निष्क्रिय पड़े संगठन में जान फूंकने के लिए नए पदाधिकारी नियुक्त किए गए।
भोपाल। प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक लगातार गिर रहा है। 2003 में जहां इसका वोट बैंक प्रदेश में 7.26 फीसदी था, जो 2018 के विधानसभा में गिरकर 5.1 रह गया है। गिरते वोट बैंक को देख फिर से बसपा ने प्रदेश में संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम करना शुरू किया है।
प्रदेश के विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में पहले बसपा का खासा प्रभाव रहा है। इन्हीं अंचलों में बसपा के प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे, मगर साल-दर-साल अब बसपा का प्रभाव प्रदेश में कम होता जा रहा है। वर्तमान में हालात यह है कि उसका संगठन बिखरा-बिखरा नजर आ रहा है। पिछला इतिहास देखा जाए तो प्रदेश में 1993 के विधानसभा में बसपा के 11 विधायक थे। साल 1998 में भी पार्टी के 11 विधायकों ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के दो विधायक जीते थे, लेकिन उसे 7.26 प्रतिशत वोट मिले थे। 2008 में उसे 8.97 प्रतिशत मत मिले और सात विधायक जीते थे। 2013 में 6.29 प्रतिशत वोटों के साथ चार विधायक बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। 2018 में वोट का आंकड़ा कम होकर 5.1 फीसदी रह गया। उसके दो विधायक विधानसभा पहुंचे, मगर एक ने पाला बदलकर भाजपा का साथ दिया।
बसपा के गिरते वोट बैंक को देख अब फिर से प्रदेश ने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू की है। प्रदेश संगठन भी इन दिनों अपने प्रभाव वाले क्षेत्र विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल में सक्रिय हुआ है। संगठन ज्यादातर कार्यक्रम इन्हीं अंचलों में कर रहा है। निष्क्रिय पड़े संगठन में जान फूंकने के लिए नए पदाधिकारी नियुक्त किए गए।