जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। राजस्थान में 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। नतीजे 3 तारीख को आएंगे। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही यहां बीते 30 साल के इतिहास की चर्चा शुरू हो गई है। राजस्थान का सियासी इतिहास बताता है कि बीते 30 साल में यहां वोटरों ने एक ही पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता का सुख लेने नहीं दिया। अब चर्चा इसकी है कि क्या अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस इस इतिहास को बदलकर दूसरी बार राजस्थान में सरकार बना सकेगी?
राजस्थान में सरकार बदलने के इतिहास को पहले देखना जरूरी है। राजस्थान में हर 5 साल में सरकार बदलने का ये चलन जनता ने 1993 से शुरू किया था। 1993 में चुनाव के बाद बीजेपी को वोटरों ने बहुमत दिया था और भैरों सिंह शेखावत सीएम बने थे। जब 1998 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए, तो जनता ने सत्तारूढ़ बीजेपी को झटका देते हुए कांग्रेस की सरकार बनवा दी। तब अशोक गहलोत सीएम बने। इसके बाद गहलोत को भी 2003 में झटका लगा, जब एक बार फिर बीजेपी राजस्थान में जीत गई और वसुंधरा राजे सीएम बनीं। सरकार बदलने का सिलसिला राजस्थान में 2008 में भी जारी रहा। तब एक बार फिर अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में कांग्रेस ने सरकार बनाई। फिर 2013 का चुनाव हुआ, तो वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी ने सरकार बनाई। जबकि, 2018 में राजस्थान की जनता ने एक बार फिर अशोक गहलोत को सत्ता सौंप दी।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट समेत कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता दावा कर रहे हैं कि राजस्थान में सरकार बदलने का ये इतिहास अब पलटने वाला है। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस बार फिर कांग्रेस सरकार बनाएगी। वहीं, मुख्य विपक्षी दल बीजेपी लगातार गहलोत सरकार को हिंदू विरोधी और भ्रष्टाचार में लिप्त बताकर उसे सत्ता से उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रही है। ऐसे में देखना ये है कि राजस्थान की जनता बीते 30 साल का इतिहास कायम रखती है, या एक बार फिर गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस पर भरोसा जताकर बीजेपी को झटका देती है।