कांग्रेस का उपाध्यक्ष पद मिलने की उम्मीद

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2018 में टूटी थी परंपरा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष का चुनाव कल होगा। भाजपा के वरिष्ठ विधायक नरेन्द्र सिंह तोमर का इस पद पर निर्विरोध निर्वाचन होना तय है। तोमर को कांग्रेस ने समर्थन दिया है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि उपाध्यक्ष पद उसे भाजपा देगी। हालांकि इस सत्र में इस पद के लिए निर्वाचन नहीं हो रहा है। वहीं 2018 में कमलनाथ सरकार के दौरान कांग्रेस ने इस परंपरा को तोड़ा था, इसके चलते शिवराज सरकार में यह पद रिक्त ही रहा।
दरअसल, नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। खुद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस के वरिश्ठ विधायकों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को नामांकन सौंपा। ऐसे में उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है, लेकिन इस बीच कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को सहृदयता का परिचय देना चाहिए और विधानसभा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को देना चाहिए क्योंकि सदन में अब तक यह परंपरा चली आ रही है। प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तादल और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास रहने की परंपरा रही है. ऐसे में अब इसी परंपरा का फिर से निर्वाहन होना चाहिए।
बता दें कि मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तापक्ष के पास और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास रहने की परंपरा चली आ रही थी, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद यह परंपरा टूट गई थी। कांग्रेस ने तब दोनों पद अपने पास रखे थे। अध्यक्ष का पद एनपी प्रजापति और उपाध्यक्ष का पद हिना कांवरे को मिला था। इसके बाद जब कमलनाथ सरकार गिरी और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो उनके कार्यकाल में यह पद रिक्त रहा। इस पद के लिए निर्वाचन ही नहीं कराया गया।

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