भाजपा ने छिंदवाड़ा सहित दस लोकसभा सीटों पर किया फोकस
भोपाल। प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जमावट तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव बहुमत से जीतने के बाद भी भाजपा के लिए छिंदवाड़ा सहित प्रदेश की दस सीटें चिंता का कारण बन रही है। इसके चलते पार्टी ने बूथ को एक बार फिर सशक्त करने और दस फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य तय कर काम करना शुरू कर दिया है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही उम्मीद से ज्यादा सीटें हासिल हुई, मगर संगठन के लिए लोकसभा चुनाव बड़ी चिंता है। परिणामों की समीक्षा में जब संगठन के सामने लोकसभा की दस सीटें कमजोर होती नजर आई तो उसकी िंचता बढ़ गई है। हाल ही में हारी सीटों की समीक्षा के दौरान एक बार फिर संगठन ने बूथ को सशक्त बनाने की कार्ययोजना पर काम करने का फैसला लिया है। साथ ही दस फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। संगठन ने बूथ मजबूत करते हुए लोकसभा में हर सीट पर 51 फीसदी वोट पाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए अभी से जमावट भी ष्शुरू कर दी है।
संघ के विस्तारक भी होंगे सक्रिय
संगठन ने समीक्षा के दौरान पार्टी ने हारे हुए प्रत्याशियों और मोर्चा पदाधिकारियों के अलावा अब विस्तारकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। संघ के विस्तारकों को अलग-अलग स्तर पर लोकसभा चुनाव की दृष्टि से प्रभार दिए जाएंगे। वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर गांव तक 24 घंटे का प्रवास करेंगे।
इन दस सीटों पर है भाजपा का फोकस
छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर तो भाजपा का फोकस बीते पांच साल से ज्यादा समय से है। इस सीट पर केन्द्रीय मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं ने विधानसभा चुनाव के दौरान सक्रियता भी दिखाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की इसी इकलौती सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था, जिसके चलते भाजपा इस सीट को लेकर लंबे समय से जीत के लिए रणनीति बना रही थी। इस बीच विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद उसके लिए छिंदवाड़ा के अलावा अन्य नौ लोकसभा की सीटें भी चिंता का कारण बन रही है। छिंदवाड़ा संसदीय सीट की सभी सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा है। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इन सीटों पर भाजपा को मिली हार से संगठन एक बार फिर चिंतित हुआ है।
भोपाल। प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जमावट तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव बहुमत से जीतने के बाद भी भाजपा के लिए छिंदवाड़ा सहित प्रदेश की दस सीटें चिंता का कारण बन रही है। इसके चलते पार्टी ने बूथ को एक बार फिर सशक्त करने और दस फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य तय कर काम करना शुरू कर दिया है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही उम्मीद से ज्यादा सीटें हासिल हुई, मगर संगठन के लिए लोकसभा चुनाव बड़ी चिंता है। परिणामों की समीक्षा में जब संगठन के सामने लोकसभा की दस सीटें कमजोर होती नजर आई तो उसकी िंचता बढ़ गई है। हाल ही में हारी सीटों की समीक्षा के दौरान एक बार फिर संगठन ने बूथ को सशक्त बनाने की कार्ययोजना पर काम करने का फैसला लिया है। साथ ही दस फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। संगठन ने बूथ मजबूत करते हुए लोकसभा में हर सीट पर 51 फीसदी वोट पाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए अभी से जमावट भी ष्शुरू कर दी है।
संघ के विस्तारक भी होंगे सक्रिय
संगठन ने समीक्षा के दौरान पार्टी ने हारे हुए प्रत्याशियों और मोर्चा पदाधिकारियों के अलावा अब विस्तारकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। संघ के विस्तारकों को अलग-अलग स्तर पर लोकसभा चुनाव की दृष्टि से प्रभार दिए जाएंगे। वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर गांव तक 24 घंटे का प्रवास करेंगे।
इन दस सीटों पर है भाजपा का फोकस
छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर तो भाजपा का फोकस बीते पांच साल से ज्यादा समय से है। इस सीट पर केन्द्रीय मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं ने विधानसभा चुनाव के दौरान सक्रियता भी दिखाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की इसी इकलौती सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था, जिसके चलते भाजपा इस सीट को लेकर लंबे समय से जीत के लिए रणनीति बना रही थी। इस बीच विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद उसके लिए छिंदवाड़ा के अलावा अन्य नौ लोकसभा की सीटें भी चिंता का कारण बन रही है। छिंदवाड़ा संसदीय सीट की सभी सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा है। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इन सीटों पर भाजपा को मिली हार से संगठन एक बार फिर चिंतित हुआ है।