पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ईवीएम पर फिर उठाए सवाल
भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) हैकिंग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मैं यह आरोप नहीं लगा रहा कि हेरफेर हो रहा है, लेकिन 30 से 40 प्रतिशत वोटों का हेरफेर हो सकता है। डेढ़ महीने पहले मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई है। इसे लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर सवाल उठाए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि ईवीएम को लेकर कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी ईवीएम पर अविश्वास जताया था। इसका इस्तेमाल 2003 में शुरू हुआ। उसके बाद फिर अविश्वास सामने आने के बाद वीवीपैट लगाई गई। वीवीपैट बैलेट यूनिट से तार से कनेक्ट होती है। यह सेंट्रल इलेक्शन कमीशन के सर्वर से कनेक्ट होती है। पहले कलेक्टर तय करते थे कौन सी यूनिट कहां जाएगी, लेकिन, अब इसे सेंट्रल सर्वर से कनेक्ट किया गया है। उन्होंने ईवीएम हैक करने का तरीका भी बताने की कोशिश की। इस दौरान राइट टू रिकॉल पार्टी के अध्यक्ष राहुल मेहता भी मौजूद थे. उन्होंने डमी ईवीएम से वोटिंग करके दिखाई।
सिंह ने कहा कि इसके लिए प्राइवेट इंजीनियर बुलाए जाते हैं. इंजीनियर लैपटॉप से मशीन को कनेक्ट करते हैं. उसके बाद इलेक्शन सिंबल लोड होते हैं. इंजीनियरों की इस गतिविधि से चिप सर्वेसर्वा हो जाता है। वीवीपैट मशीन में 7 सेकंड के लिए दिखाई देता है, लेकिन, जो दिखा वही डब्बे में गिरा इस बात पर संदेह है। उन्होंने कहा कि वीवीपैट में जो माइक्रोचिप है, वही वोट डाल रही है। पूरे विश्व में केवल 5 देशों में ईवीएम से चुनाव होता है। ऑस्ट्रेलिया में मशीन में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है वो पब्लिक डोमेन में है. लेकिन, भारत में आज तक कौनसा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है ये जानकारी किसी को नहीं है। चुनाव आयोग कहता है कि पब्लिक करने से सॉफ्टवेयर हैक हो सकता है. आरटीआई के अंतर्गत कई प्रश्न पूछे गए, जिसके उत्तर संबंधित संस्थाओं ने अलग-अलग दिए।
जनता का नहीं सॉफ्टवेयर का आत्मविश्वास है भाजपा का
सिंह ने कहा कि ईवीएम के पार्ट्स अलग-अलग वेंडर्स से आते हैं। इसे लेकर संस्थाओं ने कहा कि चिप वन टाइम प्रोग्राम चिप है, लेकिन, वीवीपैट आई तो चिप को मल्टीपल प्रोग्राम वाला कर दिया गया। रिटर्निंग ऑफिसर्स कहते हैं कि वीवीपैट प्रोग्राम करने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी मांगी जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इलेक्शन कमिशन दबाव में है। हम कुछ बोलते हैं तो नोटिस मिल जाता है। भाजपा का आत्मविश्वास जो है वो जनता का नहीं, सॉफ्टवेयर का आत्मविश्वास है।
दिग्विजय को मिला कमलनाथ का समर्थन
ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थन में कमलनाथ भी आ गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर लिखा कि भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बुधवार को भोपाल में डमी ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ का प्रदर्शन एक पत्रकार वार्ता के जरिए प्रस्तुत किया। वहां मौजूद पत्रकारों ने स्वयं डमी ईवीएम का बटन दबाया और यह पाया कि न सिर्फ वोट संख्या में बल्कि वीवीपैट से प्राप्त होने वाली पर्ची में भी बदलाव किया जा सकता है। इसका सीधा अर्थ है कि जो वोट भारत का नागरिक डाल रहा है, उसमें छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईवीएम हटाकर मतपत्र से चुनाव कराए जाएं. और अगर ईवीएम से ही चुनाव कराने हैं, तो वोट की पर्ची मतदाता को हाथ में मिलनी चाहिए, जिसे वह मत पेटी में डालें और इसी पर्ची को गिना जाए।