तीन बार मंत्री बन चुके विधायकां में बढ़ रही चिंता
भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के साथ ही सांसद से विधायक बने विधायकों और प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं की भूमिका भविष्य में क्या होगी, यह तस्वीर साफ हो जाएगी। माना जा रहा है कि उम्रदराज और तीन बार से ज्यादा मंत्री बन चुके विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की उम्मीद कम है। साथ ही केन्द्रीय मंत्री रहे प्रहलाद पटेल, पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अलावा अन्य वरिश्ठ विधायकों पर लिए जाने वाले फैसले भाजपा की तस्वीर को साफ कर देंगे।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में इस बार आधा दर्जन सांसदों, दिग्गज नेताओं को चुनाव में उतारकर बड़ी जीत हासिल की। जीत के बाद पार्टी ने जिस तरह से मुख्यमंत्री का चेहरा दिया, उसके बाद से पार्टी के वरिश्ठ विधायकों के साथ-साथ सांसद से विधायक बने विधायकों और तीन बार से अधिक बार मंत्री बन चुके विधायकों की चिंता बढ़ गई है। अंदरखाने से जिस तरह से खबरें बाहर आ रही है, इससे संकेत मिल रहे हैं कि उम्रदराज वरिश्ठ नेताओं के साथ-साथ संगठन तीन बार से ज्यादा बार मंत्री बन चुके विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं देना चाहता है। हालांकि अभी इस मुद्दे पर दिल्ली में फैसला होना है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री डा मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी ष्शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर मंत्रिमंडल पर मोहर लगाएंगी।
तय होगा सिंधिया समर्थकों का भी भविष्य
मंत्रिमंडल गठन में सिंधिया समर्थकों को कितना स्थान मिलता है। इसे लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में कम ही स्थान मिलेगा। जो सिंधिया समर्थक दोबारा चुनाव जीतकर विधायक बने हैं, उनमें से कुछ ही विधायक मंत्री बन सकेंगे। हालांकि कुछ सिंधिया समर्थक चुनाव हारे भी हैं, मगर अधिकांश समर्थक जीतकर विधायक बने हैं। सिंधिया अपने समर्थकों को लेकर किस तरह दबाव बनाते हैं, यह मंत्रिमंडल गठन से साफ हो जाएगा।