पटना. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस विभिन्न विपक्षी दलों के साथ मंथन में जुटी है.बिहार की सत्ताधारी महागठबंधन से जुड़े अंदरूनी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी देते हुए बताया है कि खास फॉर्मूले के तहत 500 से अधिक संसदीय सीटों पर एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ विपक्षी दल एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करेंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ हालिया बातचीत में इस रणनीति पर लंबी चर्चा हुई.
इस विपक्षी महागठबंधन को जमीन पर उतारने के लिए प्रस्तावित मोर्चे के ढांचे और अहम पदों पर विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि नए गठबंधन में एक संयोजक और एक अध्यक्ष होगा और पूरी संभावना है कि संयोजक को नए मोर्चे के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाएगा, जिसे जून तक अंतिम रूप देने और घोषित किए जाने की संभावना है.
महागठबंधन के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘चेयरपर्सन इस गठबंधन के एक प्रतीकात्मक प्रमुख जैसा होगा, जिसके पास कुछ निर्णय लेने की शक्तियां होंगी.’ उन्होंने कहा कि इसी तरह का प्रयोग वर्ष 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के गठन और 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर भी किया गया था. उन्होंने कहा, ‘मई के मध्य में शीर्ष क्षेत्रीय दलों के साथ कई दौर की बैठक के बाद नया मोर्चा जून तक सामने आएगा.’
हालांकि यहां पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना या तमिलनाडु जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों के बीच प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए और खास तौर से सीट चयन को लेकर सवाल उठता है कि आखिर यह ‘एक के खिलाफ एक’ की रणनीति जमीन पर कैसे टिकेगी.
इस पर सूत्रों ने कहा कि संबंधित राज्यों में अपनी ताकत के अनुसार एक डील पर पहुंचने के लिए बातचीत चल रही है. वह इसके लिए कुछ उदाहरण देते हुए बताते हैं कि बिहार में महागठबंधन के नेता दृढ़ हैं कि सहयोगी दलों कांग्रेस, वामपंथी दलों और हम (एस) को पर्याप्त हिस्सा देते हुए राजद और जदयू सीटों का एक बड़ा हिस्सा लेंगे. वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का सीट आवंटन में बड़ा हिस्सा होगा, लेकिन वामपंथी दलों और कांग्रेस को विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की ताकत के अनुसार पर्याप्त सीटें दी जाएंगी.
जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और अनुभवी नेता केसी त्यागी ने कहा, ‘बिहार के सीएम द्वारा प्रतिपादित ‘एक के खिलाफ एक’ रणनीति पर काम करने के लिए अब विपक्षी दलों के बीच आम सहमति बढ़ रही है. नीतीश जी में एक बड़ा विपक्षी मोर्चा बनाने की क्षमता है. कांग्रेस भी एक नया मोर्चा बनाने की उत्सुकता दिखा रही है, जो निश्चित रूप से 2024 के संसदीय चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला करने के लिए एक अच्छा संकेत है.’