राजस्थान सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला देश का पहला राज्य बना, लाखों लोगों को मिलेगा फायदा

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जयपुर. राजस्थान देश में कानून बनाकर रोजगार एवं पेंशन की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. इससे अब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष में 125 दिवस की रोजगार की गारंटी मिलेगी वहीं वृद्ध, विशेष योग्यजन, विधवा एवं एकल महिला को प्रतिमाह न्यूनतम एक हजार रुपए पेंशन मिलेगी और इसमें प्रतिवर्ष 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

इसके लिए शुक्रवार को विधानसभा में राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित किया गया. इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया गया और इसमें पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों ने भाग लिया. इसके बाद चर्चा के जवाब में धारीवाल ने कहा कि प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों को एक वर्ष में 125 दिवस का रोजगार और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत वृद्धजन, विशेष योग्यजन, विधवा एवं एकल महिला को प्रतिमाह न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन की गारंटी के लिए महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना शुरू होगी. इसके लिए राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक-2023 लाया गया है.

उन्होंने कहा कि कानून बनाकर इस तरह की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के लागू होने पर प्रदेश के सभी ग्रामीण परिवारों को मनरेगा योजना के तहत 100 दिवस का रोजगार पूर्ण करने के बाद 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत प्राप्त हो सकेगा. वहीं इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहरी परिवारों को भी 125 दिवस का रोजगार मिलने की गारंटी होगी.

उन्होंने बताया कि राज्य में वृद्धजन, विशेष योग्यजन, विधवा एवं एकल महिला को प्रतिमाह एक हजार रुपये न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलेगी. साथ ही इसमें 15 प्रतिशत स्वत: वृद्धि का प्रावधान किया गया है जो जुलाई में पांच प्रतिशत एवं जनवरी में 10 प्रतिशत की दर से होगी. इस वृद्धि की आधार राशि एक हजार रुपए होगी.

धारीवाल ने कहा कि कानून बन जाने के बाद उपरोक्त प्रावधान जनता को अधिकार के रूप में प्राप्त हो जाएंगे. इस बेमिसाल और ऐतिहासिक कानून से आमजन को बेतहाशा बढ़ती महंगाई से राहत भी मिलेगी. इससे पहले विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने का प्रस्ताव सदन ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया.

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