काबुल. अफगानिस्तान की जानलेवा ठंड से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तालिबान के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह से भी कम समय में मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. लाखों लोगों को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ रहा है.
जनवरी की शुरुआत में तापमान शून्य से 28 डिग्री सेल्सियस (माइनस 18 फ़ारेनहाइट) तक कम होने के साथ देश अपनी सबसे ठंडी सर्दियों का सामना कर रहा है. महिला एनजीओ कार्यकर्ताओं पर तालिबान के प्रतिबंध के बाद देश में सीमित मात्रा में मानवीय सहायता के चलते ठंड का प्रभाव और प्रतिकूल ज्यादा हो गया है. भारी बर्फबारी के चलते अफगानिस्तान-पाकिस्तान हाईवे में जाम लगा हुआ है. इसके चलते जरूरत का सामान अफगानिस्तान पहुंच नहीं पा रहा है.
यूएनओसीएचओ भेज रहा है सहायता
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचओ) ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि यह लगभग 565,700 लोगों को कंबल, हीटिंग और आश्रय जैसी सहायता प्रदान कर रहा है. लेकिन देश में भयंकर ठंड के बाद इससे अधिक राहत सामग्रियों की जरूरत महसूस हो रही है.
तालिबान के आपदा प्रबंधन मंत्रालय के प्रवक्ता शफीउल्ला रहीमी ने मंगलवार को बताया कि देश भर में लगभग 70,000 पशु भी ठंड से प्रभावित हुए हैं. बता दें कि अगस्त 2021 में कट्टरपंथी इस्लामवादी समूह के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान आर्थिक और मानवीय संकट में डूब गया है. अफगानिस्तान लगातार प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त है. देश लगातार तीसरे साल सूखे जैसी स्थिति में प्रवेश कर रहा है.
हाल ही में यूएनओसीएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 28.3 मिलियन यानी लगभग अफगानिस्तान की आबादी के दो तिहाई लोगों को विपरीत परिस्थितियों में जिंदा रहने के लिए तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है. दिसंबर से कम से कम आधा दर्जन प्रमुख विदेशी सहायता समूहों ने अफगानिस्तान में अपने कार्यों को निलंबित कर दिया है.