तेलअवीव. इजरायल की जनता के व्यापक विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विवादित न्यायिक सुधार कानून वापस ले लिया. पीएम नेतन्याहू ने इन कानूनों को टालने की मंजूरी दे दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल ओत्जमा येहुदित ने इस बात की पुष्टि की. बताया जा रहा है कि न्यायपालिका में बदलाव को लेकर नेतन्याहू सरकार के संसोधन बिल का इजरायल में जमकर विरोध हुआ. इसके अलावा प्रधानमंत्री नेतन्याहू का देश से बाहर इटली, जर्मनी और ब्रिटेन के दौरे पर भी हजारों लोगों ने विरोध किया था. वहीं इजरायल के सबसे बड़े श्रमिक संघ हिस्ताद्रुत के प्रमुख अर्नोन बार-डेविड ने सोमवार को ऐतिहासिक हड़ताल का ऐलान किया था.
वहीं तेल अवीव में इजराइल के मुख्य हवाई अड्डे बेन गुरियन एअरपोर्ट ने हड़ताल के ऐलान के कुछ देर बाद ही विमानों के उड़ान को रोक दिया था. इसके अलावा नेशनल स्टूडेंट एंड यूथ काउंसिल ने भी हड़ताल का ऐलान किया था. साथ ही संसोधन बिल के खिलाफ विदेशों में तैनात राजनयिकों ने भी हड़ताल कर दी थी.
गौरतलब है कि इस कानून के पारित होने के बाद संसद को आम बहुमत के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने का भी अधिकार मिल जाता. इसके अलावा जजों की नियुक्तियों पर अंतिम मुहर भी सरकार ही लगाती. पीएम नेतन्याहू का तर्क था कि इससे न्यायपालिका और कार्यपालिका में संतुलन बढ़ता, वहीं इसके खिलाफ में प्रदर्शन करने वालों का कहना था कि इस कानून से इजराइल का लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा. इससे सरकार को शक्तियां मिल जाएंगी और वह निरंकुश हो जाएगी. लोगों का यह भी मानना था कि यह कानून भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे नेतन्याहू का बचाव भी करता.