छात्रावास, मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन दिया जाएगा मोटे अनाज का भोजन

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राज्य मिलेट योजना को कैबिनेट की मिली मंजूरी
भोपाल। शिवराज सरकार
ने आज  राज्य मिलेट योजना को लागू करने की स्वीकृति दे दी। इसके तहत अब किसानों को मिलेट्स यानी मोटा अनाज का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। किसानों को मोट अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी, शासकीस संस्थाओं के माध्यम से 80 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। योजना की मॉनीटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी। योजना के तहत छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी।
राज्य कैबिनेट की बैठक में आज यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी देते हुए बताया कि योजना का क्रियांवयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जाएगा। योजना की अवधि 2 वर्ष (2023-24 एवं वर्ष 2024-25) की होगी। इन 2 वर्षों में योजना में 23 करोड़ 25 लाख रूपए व्यय किए जाएंगे। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी, शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
व्यापक स्तर पर किया जाएगा प्रचार-प्रसार
मिलेट मिशन योजना की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मिलेट फसलों के उत्पादन, प्र-संस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण होंगे। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमीनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहाँ भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी।
मिलेट है क्या
मिलेट मोटे अनाज को कहा जाता हैं। इसमें बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसे अनाज आते हैं। वर्तमान में लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की मांग बढ़ रही हैं।  
गेंहू एक्सपोर्ट पर मंडी शुल्क देगी सरकार
बैठक में गेहूँ निर्यात पर मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधी विभागीय अधिसूचना 7 अप्रैल 2022 में संशोधन की स्वीकृति दी। संशोधन अनुसार प्रदेश के किसी भी कृषि उपज मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से क्रय की गई अधिसूचित कृषि उपज गेहूँ पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति का लाभ प्रदान करने पर विचार किया जाए गा। मंडी फीस की प्रतिपूर्ति, अधिसूचित कृषि उपज गेहूँ की भुगतान पत्रक से क्रय की गई मात्रा पर प्राप्त होगी। देश के अन्य राज्यों से व्यापारियों द्वारा वाणिज्यिक प्रयोजन के अनुक्रम में क्रय एवं विक्रय की गई अधिसूचित कृषि जीन्स पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की जायेगी। मंडी फीस की प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य होगा।  मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि का वहन मंडी बोर्ड के बजट प्रावधान के कृषि उपज निर्यात प्रोत्साहन मद से किया जाएगा।
ट्रांसजेंडर को ओबीसी का दर्जा
मंत्रिमंडल की बैठक में ट्रांसजेंडर को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग की सूची के क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की है। प्रदेश में इनकी संख्या वर्तमान 30 हजार के करीब हैं। पिछड़ा वर्ग में जुड़ने से अब इन्हें आरक्षण का लाभ भी मिलेगा।

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