वाशिंगटन. अमेरिका ने एक बार फिर यूक्रेन संघर्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टैंड का स्वागत किया, जो सभी प्रकार की हिंसा को रोकने और कूटनीति के रास्ते पर चलने का आह्वान करता है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हम पीएम मोदी की बातों को उन्होंने जैसा कहा है, वैसे ही मानेंगे. और जब वे चीजें होंगी, तो उन टिप्पणियों का स्वागत करेंगे. रूस के साथ जुड़ाव पर अन्य देश अपना निर्णय खुद लेंगे. हम युद्ध के प्रभावों को कम करने के लिए सहयोगियों के साथ समन्वय करना जारी रखेंगे. वेदांत पटेल ने यह टिप्पणी रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति और युद्ध को समाप्त करने के लिए पीएम मोदी के आह्वान पर एक सवाल के जवाब में की.
वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में भारत की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि कोई भी देश जो शांति में शामिल होने में रुचि रखता है और इस युद्ध को समाप्त करने में रुचि रखता है, उसे यूक्रेनी भागीदारों के साथ घनिष्ठ साझेदारी में ऐसा करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी और उसके कुछ घंटों बाद ही अमेरिकी विदेश विभाग की यह टिप्पणी आई.रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी की टेलिफोनिक वार्ता के बारे में उनके कार्यालय ने एक बयान में कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर समरकंद में अपनी बैठक के बाद, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलुओं की समीक्षा की, जिसमें ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहयोग और अन्य प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं.
यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत और कूटनीति को आगे बढऩे का एकमात्र रास्ता बताया. पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को जी-20 में भारत की मौजूदा अध्यक्षता के बारे में जानकारी दी और इसकी प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन की भारत की अध्यक्षता के दौरान दोनों देशों के एक साथ काम करने की भी उम्मीद की. दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ नियमित संपर्क में रहने पर सहमति व्यक्त की.
गौरतलब है कि इससे पहले सितंबर में समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है. उन्होंने खाद्य, ईंधन सुरक्षा और उर्वरकों की समस्याओं के समाधान के तरीके खोजने की आवश्यकता पर भी बल दिया था.