शिव महापुराण के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा हों या बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, इनके प्रति हर जाति, धर्म और दल के लोग श्रद्धा रखते हैं। इन धमार्चार्यों का भी कर्त्तव्य है कि वे संत की तरह सभी के प्रति समान भाव रखें, खुद को विवादों से दूर रखें। पर ऐसा नहीं हो रहा। पंडित मिश्रा एवं शास्त्री लगातार विवादों को जन्म दे रहे हैं। बैतूल में पंडित मिश्रा ने नए विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए हर परिवार को अपना एक बेटा आरएसएस अथवा बजंरग दल में भेजना चाहिए। मिश्रा को मालूम है कि कांग्रेस सहित समाज का एक बड़ा वर्ग संघ और बजरंग दल को देश और समाज के लिए घातक मानता है। मिश्रा कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के आमंत्रण पर इंदौर में कथा कह चुक हैं, अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के आमंत्रण पर छिंदवाड़ा जाने वाले हैं। ऐसी बातें बोलकर वे इन नेताओं के सामने धर्मसंकट क्यों पैदा करते हैं, जिनके अंदर उनके प्रति किसी से कम आदर और सम्मान नहीं है। पंडित मिश्रा पहले भी बाबा साहेब अंबेडकर पर टिप्पणी के कारण विवाद में आए थे। उन्हें दलित वर्ग से क्षमा मांगना पड़ी थी। बागेश्वर धाम का कुछ नेताओं और जमीन को लेकर ग्रामीणों के साथ विवाद सर्वविदित है। क्या ये कथावाचक खुद को विवादों से दूर नहीं रख सकते?