गैस पीड़ित संगठनों का दावा
भोपाल। राजधानी के गैस पीड़ित संगठनों ने आज दावा किया कि भोपाल हादसे के दौरान जो लोग अपनी मां के गर्भ में थे, उनमें कैन्सर होने की आशंका 8 गुना अधिक थी, साथ ही सामान्य बच्चों की तुलना में इन बच्चों में रोजगार वाधित करने वाली विकलांगता और शिक्षा का निम्न स्तर था।
भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने यह दावा आज मीडिया से चर्चा करते हुए किया। डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन की नौशीन खान ने कहा कि अध्ययन में पाया गया है कि भोपाल हादसे के दौरान जो लोग अपनी मां के गर्भ में थे, उनमें कैन्सर होने की आशंका 8 गुना अधिक थी, साथ ही सामान्य बच्चों की तुलना में इन बच्चों में रोजगार वाधित करने वाली विकलांगता और शिक्षा का निम्न स्तर था । भारत सरकार द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के आधार पर इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि हादसे के समय कारखाने से 100 किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों पर भी हादसे का प्रभाव देखा जा सकता है।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि यह वैज्ञानिक प्रकाशन राज्य और केंद्र की सरकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। शोध के सभी निष्कर्ष सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रकाशित आंकड़ों पर आधारित हैं। सरकार ने कम्पनी के पीड़ितों के हितों की रक्षा के वादे के बदले में भोपाल के पीड़ितों से यूनियन कार्बाइड पर मुकदमा चलाने का अधिकार छीन लिया है। यदि सरकारें यूनियन कार्बाइड से अगली पीढ़ी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कानूनी कदम नहीं उठाती हैं तो यह उस वादे के साथ विश्वासघात होगा। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा हम मांग करते हैं कि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल कम्पनी हादसे की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दे।