जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआईएफ) में जल्द ही 500 थाउजेंड पाउंडर बम बनने हैं, क्योंकि इन बमों का ऑर्डर आया है. ये बम भारतीय वायु सेना को दिए जाएंगे जिनकी गिनती सबसे ज्यादा ताकतवर बमों में होती है. ये बम दुश्मनों के ठिकानों को पलक झपकते ही ध्वस्त कर देंते हैं.
यह बम पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाए जाते हैं, जो इतने खतरनाक होते हैं कि धरती पर गिरते ही धरती भी थर्रा सकती है. इस बम का वजन 450 किलो के बराबर होता है. यानि अगर किसी इमारत पर यह बम गिराया जाता है तो पूरी की पूरी इमारत राख के ढेर में तब्दील हो जाती है. जबलपुर के ग्रे आयरन फाउंड्री यानी जीआईएफ को 500 थाउजेंड पाउंडर बमों को बनाने का ऑर्डर मिला है, जिसके पहले चरण में 5 बम तैयार कर फैक्ट्री ने ऑडनेंस फैक्ट्री खमरिया के सुपुर्द कर दिए हैं. इन बमों में बारूद की फिलिंग होने के बाद इन्हें भारतीय वायु सेना के हवाले किया जाएगा.
जानिए इस बम की खासियत
थाउजेंड पाउंडर बम बेहद खतरनाक और शक्तिशाली बमों में से एक होते हैं, जिसकी मारक क्षमता सबसे ऊंचे स्तर की मानी जाती है. वायु सेना के लड़ाकू विमानों के द्वारा टारगेट सेट कर इनके जरिए हमला किया जाता है. इन बमों का इस्तेमाल बंकरों, विमानतल और हवाई पट्टियों को ध्वस्त करने के लिए किया जाता है.
सर्जिकल स्ट्राइक में हुआ था इस्तेमाल
पुलवामा अटैक के बाद जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हमला किया था, तब दुश्मनों को मिटाने के लिए थाउजेंड पाउंडर बमों का ही इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा जानकारों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भी इसी तरह के बमों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके अलावा चाइना जैसे देश भी अब इन्हीं बमों का इस्तेमाल करने लगे हैं. बता दें कि इस एक बम की कीमत 3 लाख रुपए होती है.
पहली बार मिला ऑर्डर
जबलपुर की जीआईएफ को इतने बड़े बम का ऑर्डर पहली बार मिला है. जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है. फिलहाल इन बमों को तैयार किया जा रहा है. जिनमें बारुद की फिलिंग की काम खमरिया स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किया जाएगा.