भोपाल। लघु वनोपजों का संग्रहण एवं विक्रय दूरस्थ अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के लिये आजीविका का एक मुख्य साधन है। दूरस्थ अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों जन लघु वनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े हैं, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक सदस्य जनजातीय वर्ग के हैं। इन लघु वनोपज संग्राहकों को बिचौलियों के शोषण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है।
संग्रहीत लघु वनोपज का उचित लाभ दिलाने के उद्देश्य से लघु वनोपज का संग्रहण एवं व्यापार अब ग्राम-सभा के माध्यम से किया जायेगा। राष्ट्रीयकृत वनोपज के संग्रहण का वनवासियों एवं ग्रामीणों को उचित पारिश्रमिक दिलाने के लिये लघु वनोपज संघ कार्यशील है। जिला वनोपज सहकारी यूनियनों के माध्यम से लघु वनोपज संग्रहण कार्य, रोजगार सुलभ कराने के साथ ही औषधीय और सुगंधित पौधों के प्र-संस्करण, भंडारण एवं विपणन का कार्य भी सफलता से कर रहा है। वनोपज विक्रय का लाभांश भी संग्राहकों को वितरित किया जा रहा है। तेंदूपत्ता संग्रहण तथा अन्य लघु वनोपज संग्रहण कार्य में संलग्न अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य कमजोर वर्ग के ग्रामीणों का आर्थिक सुदृढ़ीकरण हो रहा है।