महंगाई की मार: टमाटर के कारण महंगी हुई वेज और नॉन-वेज थाली, जानें कितना बढ़ा भाव

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नई दिल्ली. टमाटर की कीमतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. एक नए अध्ययन से पता चला है कि टमाटर की कीमतों के कारण शाकाहारी थाली महंगा हो गया है. बढ़ती महंगाई में ग्लोबल एनालिटिक्स कंपनी CRISIL ने एक रिपोर्ट जारी किया है. CRISIL ने बताया है कि जुलाई में शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमत क्रमशः 28% और 11% बढ़ी है.

TOI के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘शाकाहारी थाली की कीमत में 28% की वृद्धि में से 22% का कारण केवल टमाटर की कीमत है, जो जून में 33 रुपये प्रति किलोग्राम से जुलाई में 233% बढ़कर 110 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई.’ प्याज और आलू की कीमतों में हर महीने क्रमशः 16% और 9% की वृद्धि हुई.

यह लगातार तीसरा महीना है, जब शाकाहारी थाली की कीमत बढ़ी है. साल 2023-24 में यह पहली बार है, जब थाली की कीमत साल-दर-साल (YoY) बढ़ी है. वहीं खाद्य मुद्रास्फीति भी कई कारणों से एक बाधा के रूप में उभर रही है, जिसमें तंग आपूर्ति और मौसम संबंधी मुद्दे शामिल हैं. वित्तीय सेवा फर्म एमके ग्लोबल के विश्लेषण के अनुसार, अनाज (3.5%), दालें (7.7%) और सब्जियां (95.1%) और दूध (10.4%) की औसत कीमतें वार्षिक आधार पर अधिक थीं. जबकि तेल की औसत कीमतें (-17%) कम थी.

एमके ग्लोबल की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि ‘टमाटर की कीमतों में जारी बढ़ोतरी अगस्त के अंत से पहले कम होने की उम्मीद नहीं है, जबकि अन्य सब्जियों की कीमतें भी पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ी हैं.’ क्रिसिल के विश्लेषण के अनुसार मांसाहारी थाली की कीमत धीमी गति से बढ़ी है. क्योंकि ब्रॉयलर्स यानी चिकन की कीमत जुलाई में 3-5% घटी है, जो नॉन-वेज थाली की लागत का 50% से ज्यादा है.

मिर्च और जीरा भी अधिक महंगे हो गए, जुलाई में उनकी कीमतें क्रमशः 69% और 16% बढ़ गईं. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, थाली में उपयोग की जाने वाली इन सामग्रियों की कम मात्रा को देखते हुए, उनकी लागत में योगदान कुछ सब्जी फसलों की तुलना में कम रहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वेजिटेबल ऑयल की कीमत में महीने-दर-महीने 2% की गिरावट से थाली की कॉस्ट में ग्रोथ से कुछ हद तक राहत मिली है.

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