नई दिल्ली. भारत के बाद रूस ने भी चांद पर अपना मिशन भेज दिया है. करीब 47 वर्षों के बाद रूस ने चांद पर अपना मून मिशन भेजा है. 11 अगस्त की सुबह 4 बजकर 40 मिनट के करीब अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से Luna-25 Lander मिशन लॉन्च किया गया. लॉन्चिंग सोयुज 2.1बी (Soyuz 2.1b) रॉकेट से किया गया. इसे लूना ग्लोब मिशन भी कहते हैं.
चार स्टेज के रॉकेट ने Luna-25 लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार ऑर्बिट में छोड़ा, जिसके बाद यह स्पेस्क्राफ्ट चांद के हाइवे पर निकल गया. इस हाइवे पर यह 5 दिन की यात्रा करेगा और फिर चांद के चारों तरफ 7-10 दिन चक्कर लगाएगा. बता दें कि केवल तीन सरकारें ही सफल चंद्रमा लैंडिंग में कामयाब रही हैं. जिनमें सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन शामिल हैं. भारत और रूस का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का है. यूक्रेन पर हमला करने के बाद पहली बार रूस किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह के लिए अपना मिशन भेजने को तैयार हुआ है.
हालांकि रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि हम किसी देश या स्पेश एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं. हमारे लैंडिंग इलाके भी अलग हैं. बता दें कि लूना-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास उतरेगा. इसके पास लैंडिंग के लिए 30×15 किलोमीटर की रेंज मौजूद है. लूना-25 एक रोबोटिक लूनर स्टेशन है. इस दौरान इसके पेलोड्स चांद की सतह से मिट्टी लेकर उनका परीक्षण करेंगे. ड्रिलिंग करने की क्षमता दिखाई जाएगी.
लूना-25 चंद्रमा की सतह पर साल भर काम करेगा. इसका वजन 1.8 टन है. इसमें 31KG के वैज्ञानिक यंत्र हैं. एक खास यंत्र भी लगा है, जो सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करेगा. ताकि फ्रोजन वाटर यानी जमे हुए पानी की खोज की जा सके.