सुधीर गोरे इंदौर. बीती 23 सितंबर की शाम चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक सफलता के अलावा इंदौर के बाशिंदों को आसमान के रास्ते गौरवान्वित करने वाली एक और बड़ी खबर मिली. लगातार छह साल तक स्वच्छता में पहले नंबर पर रहने वाला इंदौर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए किए गए सार्थक प्रयासों की वजह से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023 में अव्वल घोषित किया गया.
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के उद्देश्य-
-समाज के सभी वर्गों में जागरूकता पैदा करना
-नागरिकों को जोखिम के कारण स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभावों के बारे में सूचित करना
-विभिन्न स्थानोंध्शहरों में वायु गुणवत्ता के हालात की तुलना करना
-राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लक्ष्य ष्सभी के लिए स्वच्छ हवाष् को प्राप्त करना.
-8 पैमानों पर मापा जाता है वायु गुणवत्ता में सुधार
भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम एनसीएपी के तहत पर्यावरणए वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण वायु सर्वेक्षण में इंदौर ने 8 पैमानों पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 200 में से 187 अंक हासिल किए हैं और अपनी श्रेणी के 46 शहरों को पीछे छोड़ा है. आठ श्रेणियों का वैटेज इस प्रकार है.
-बायोमास ;लकड़ीए कंडेए कृषि अवशेषद्धध् शहरी सूखा कचरा जलाने से उत्सर्जन कम करने के उपाय . 20 प्रतिशत अंक
-सड़कों की धूल कम करने के उपाय, 20 प्रतिशत अंक
-निर्माण गतिविधियों और इमारतों आदि को ध्वस्त करने से उडऩे वाली धूल कम करने के उपाय . 5 प्रतिशम अंक
-वाहन उत्सर्जन कम करने के उपाय . 20 प्रतिशत अंक
-उद्योगों से उत्सर्जन कम करने के उपाय . 20 प्रतिशत अंक
-उत्सर्जन कम करने के अन्य उपाय . 10 प्रतिशत
-जन जागरूकता . 2.5 प्रतिशत
-पीएम10 का स्तर कम करना 2.5 प्रतिशत
इंदौर ऐसे बना नंबर वन
पिछले एक साल में पर्यावरण संरक्षण और वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए खास तौर पर की गई कोशिशों के कारण इंदौर नंबर वन बना है. स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023 के नतीजे आने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा शहरवासियों की सहभागिता, पार्षदों के नवाचार, कमिश्नर और अधिकारियों के अथक परिश्रम का ही यह नतीजा है. इंदौर में सड़कों की मशीनी झाड़ू से लगातार सफाई से धूल कणों के फैलने को रोकने में मदद मिली है. भवन निर्माण सामग्री की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इसकी ढुलाई के रात के वक्त करना और इसे तारपोलीन से ढकना अनिवार्य किया गया है ताकि धूल न उड़े और यह वातावरण को प्रदूषित न करे. जन सहयोग से एक अच्छा काम यह हुआ है कि रेस्त्रां और ढाबों में लकड़ी-कोयले की भट्टियों और तंदूर की जगह पाइप्ड नेचरल गैस पीएनजी का उपयोग हो रहा है. इंदौर निगम कमिश्नर हर्षिका सिंह के मुताबिक शहर की एयर क्वालिटी में सुधार समय की मांग है. वायु गुणवत्ता सुधार के प्रयासों में नंबर वन होने से बढ़ी जिम्मेदारी के बाद मुझे विश्वास है कि हम इस प्रदर्शन को बरकरार रखने में कामयाब होंगे.
वैज्ञानिक सोच और शोध को तरजीह-
राजनैतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक प्रयासों के साथ ही इंदौर में एयर क्वालिटी सुधारने के लिए वैश्विक स्तर की विशेषज्ञता और वैज्ञानिक रिसर्च का उल्लेखनीय सहयोग रहा है. यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के सहयोग से चल रहे क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोग्राम के प्रोजेक्ट मैनेजर कौशिक हजारिका ने बताया कि पिछले तीन साल में क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट ने विभिन्न चरणों में योजनाबद्ध तरीके से इंदौर नगर निगम के साथ शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए वायु गुणवत्ता वैज्ञानिकों ने कई अध्ययन किए और रिसर्च रिपोर्ट्स तैयार कीं. वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की, स्थानीय प्रशासन, उद्योगों, स्वयंसेवी संस्थाओं, जन प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों के साथ ही स्वास्थ्य, परिवहन और शिक्षा जैसे विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मियों को वायु प्रदूषण से लडऩे के लिए प्रशिक्षित किया. जनता और मीडिया को भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये जागरूक किया.
वायु गुणवत्ता के लिए तार्किक उपाय-
कैटलिस्ट प्रोजेक्ट की प्रमुख पार्टनर डब्ल्यूआरआई इंडिया के एयर क्वालिटी सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट संजर अली के मुताबिक कचरा प्रबंधन के जरिये प्रदूषण रोकने के मामले में पिछले छह साल से इंदौर देश में पहले नंबर पर है. इंदौर ने सिटी बस और बीआरटीएस के जरिये पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर फोकस किया है. इससे वाहनों का प्रदूषण घटाने में मदद मिली है. शहर में यातायात के लिए बुनियादी ढांचे के विकास साथ ही शेयरिंग आधार पब्लिक बाइसिकल सिस्टम को विकसित किया गया है.श् सितंबर माह में इंदौर में मेट्रो ट्रेन का ट्रायल होगा. उम्मीद है मेट्रो ट्रेन वायु प्रदूषण को कम कर सकेगी.
डब्ल्यूआरआई के एक सर्वे में भाग लेने वाले 77 फीसदी उद्योंगो ने अब वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया है. सड़कों की धूल वायु गुणवत्ता को खराब करती है. इससे लोगों को बचाने के लिए इंदौर में सड़कों की मशीनों से सफाईए सड़कों के किनारे और डिवाइडरों पर पेड़.पौधे लगानाए सड़क किनारे पेवमेंट बनाने जैसे महत्वपूर्ण काम लगातार किए जा रहे हैं. ईंट भट्टों को शहरी सीमा से दूर ले जाने काम जारी है. तंदूर में लकड़ी.कोयले का इस्तेमाल खत्म हुआ है और डब्ल्यूआरआई के एक सर्वे के मुताबिक खाना पकाने और गर्म करने के लिए होटलों-ढाबों में 89 फीसदी एलपीजी, सात फीसदी बिजली और 1 फीसदी डीजल और बाकि दूसरे ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
डब्ल्यूआरआई इंडिया में वायु गुणवत्ता निदेशक डॉण् प्रकाश दोराइस्वामी के मुताबिकए कैटलिस्ट इंदौर के क्लीन एयर एक्शन प्लान में वायु प्रदूषण से निबटने में इसकी मात्रा अनुमान लगाने के लिए एमिशन इन्वेंटरी तैयार करना एक जरूरी काम है. साथ ही हम नेशनल क्लीन एयर प्लान के मुताबिक सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी पर भी काम कर रहे हैं. इससे निगम को वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. इंदौर के वायु गुणवत्ता सुधार में योगदान के लिए पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस की 77वीं सालगिरह पर आयोजित समारोह में जिला प्रशासन ने क्लीन एयर कैटलिस्ट के योगदान की सराहना करते हुए प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया है.
भोपाल में 7 सितंबर को इंदौर का सम्मान-
पर्यावरणए वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एमओईएफसीसी नीले आसमान के लिए चौथे अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के मौके पर 7 सितंबर को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. इस कार्यक्रम में इंदौर शहर को स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की कैटेगरी में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किए गए प्रयासों में पहली रैंकिंग के लिए सम्मानित किया जाएगा. कार्यक्रम में मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे.
अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस-
वायु गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र 7 सितंबर को नील गगन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस मनाता है. इस साल की थीम है. ष्टुगेदर फॉर क्लीन एयर यानी स्वच्छ वायु के लिए एक साथ. इस थीम का मकसद है वायु प्रदूषण को रोकन के लिए समाज के सभी वर्गों, संस्थानों, समुदायों और निजी स्तर पर आपस में मजबूत साझेदारी और साझा जिम्मेदारी तय करना.