नई दिल्ली. कोरोना के बाद भारत की इकोनॉमी जहां दिन-रात बुलंदियों को छू रही है. वहीं चीन की इकोनॉमी में हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया के कई देश लगातार चीन का बायकॉट कर रहे हैं और इसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. अब हालात ये हैं कि चीन के मार्केट से विदेशी 188 अरब डॉलर (करीब 15.62 लाख करोड़) लेकर जा चुके हैं.
चीन के शेयर मार्केट से विदेशी निवेशक लगातार पैसा निकाल रहे हैं. वहीं इस बीच में भारत के अंदर विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स का निवेश बढ़ा है. चीन की इकोनॉमी और शेयर मार्केट को विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने से भारी नुकसान हो रहा है. ये दुनिया के चीन से किनारा करने का इशारा है.
17 प्रतिशत गिर गया विदेशियों का निवेश
एक समय में चीन दुनिया के सबसे हॉट इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन में से एक था. अब हालात बदल चुके हैं. दिसंबर 2021 के आंकड़ों से तुलना करें, तो जून 2023 में चीन के शेयर और बांड मार्केट में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 188 अरब डॉलर यानी 15.62 लाख करोड़ रुपये घट चुकी है. ये सीधी-सीधी 17 प्रतिशत की गिरावट है. दिसंबर 2021 में चीन के शेयर और बांड मार्केट में विदेशी निवेशकों का निवेश अपने सबसे उच्च स्तर पर था.
ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में चीन के केंद्रीय बैंक के डेटा के हवाले से कहा है कि अगस्त के महीने में ही चीन के मार्केट से करीब 12 अरब डॉलर (लगभग 99,708 करोड़ रुपये) की राशि निकाल ली गई है.
बेरोजगारी-एक्सपोर्ट भी खस्ताहाल
चीन की इकोनॉमी की समस्या यहीं नहीं रुकी है. चीन में बेरोजगारी का आलम ये है कि सरकार के श्रम विभाग ने बेरोजगारी के आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर दिया है. लोगों ने खर्च कंट्रोल करना शुरू करके ज्यादा से ज्यादा बचत करना शुरू कर दिया है. चीन की तरक्की का मुख्य कारण उसका एक्सपोर्ट था, लेकिन अब ये भी गिर रहा है.
चीन में लोगों को सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले सेक्टर रियल एस्टेट का भी बुरा हाल है. देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी में से एक Evergrande Group पहले से भारी कर्ज के बोझ तले दबा है और इसमें सुधार के आसार भी कहीं से नहीं दिख रहे हैं. इस सेक्टर में गिरावट भी चीन से विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने की एक बड़ी वजह है.