बसपा-सपा-निर्दलीय उम्मीदवारों पर टिकी नजरें
भोपाल। मध्यप्रदेष में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तो हो गया, मगर मतदान के बढ़े प्रतिषन ने प्रदेष के मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही चिंता को बढ़ा दिया है। हालांकि दोनों ही दल फिलहाल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, मगर बसपा, सपा और कुछ स्थानों पर नाराज होकर निर्दलीय चुनाव में मैदान में उतरने उम्मीदवारों पर दोनों ही दलों की नजरें टिकी हुई है।
मतदान के बाद से भाजपा और कांग्रेस दोनों की दलों के नेताओं को मतदान के बढ़े प्रतिषत ने उलझा दिया है। कुछ हद तक भाजपा नेता बढ़े मतदान को लेकर निष्ंिचत है। फिर भी बूथ स्तर पर लगातार संपर्क कर जीत-हार का आकलन कर रहे हैं। दूसरी और कांग्रेस को अपने सर्वे पर भरोसा है। कांग्रेस नेता प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सर्वे को ही जीत का आधार मान रहे हैं। वोट प्रतिषत बढ़ने को लेकर वे ज्यादा नहीं सोच रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वोट प्रतिषत नहीं इस बार सरकार के प्रति मतदाता की नाराजगी देखने को मिली है। हालांकि दोनों ही दल जीत का दावा तो कर रहे हैं, मगर चिंता उनके सामने दिखाई भी दे रही है, लेकिन उसे बयां नहीं कर रहे हैं। दोनों ही दलों के सामने बसपा, सपा और निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो मैदान में डटे रहे और दोनों ही दलों की जीत की राह में बाधा बने। बसपा को लेकर भाजपा नेता उत्साहित हैं, उनका अनुमान है कि जहां-जहां ही बसपा का असर दिखेगा, वहां कांग्रेस को नुकसान है। जबकि इसके उलट कांग्रेस नेता बसपा को अपने पक्ष में फायदेमंद मान रहे हैं। कांग्रेस का फोकस अब मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों पर ज्याद है। कांग्रेस निर्दलीय उम्मीदवारों पर नजरें गढ़ाए हुए है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो छोटे दलों के बजाय वे निर्दलीय उम्मीदवारांे का सहारा लेंगे। सपा और बसपा से उन्हें साथ मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है।
बसपा को सरकार में हिस्सेदारी की उम्मीद
वहीं बसपा नेता भी मतदान के बाद से आकलन में जुटे हैं। करीब दर्जन भर सीटों पर उन्हें करारी फाइट की उम्मीद है। जीत के लिए वे आधा दर्जन स्थानों पर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। बसपा नेताओं का मानना है कि परिणाम के बाद ही साफ होगा कि उन्हें कितनी सीटें मिल रही है, लेकिन वे इस बार बसपा को वोट प्रतिषत बढ़ने और सीटों के बढ़ने को लेकर निष्ंिचत है। बसपा नेताओं का आकलन है कि प्रदेष में एक बार फिर बसपा दहाई का आकड़ा छू सकती है। वहीं कुछ नेताओं का आकलन है कि छह से दस सीटों के बीच बसपा की जीत सुनिष्चित हो सकती है। ये नेता मान रहे हैं कि इस बार बसपा की हिस्सेदारी से सरकार बनेगी। इन नेताओं का झुकाव भाजपा की ओर है। उनका कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती इस बार पांचों राज्यों के परिणाम के बाद ही कोई फैसला करेगी। मगर इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि अगर फैसला होगा तो भाजपा के साथ बसपा जा सकती है।
भोपाल। मध्यप्रदेष में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तो हो गया, मगर मतदान के बढ़े प्रतिषन ने प्रदेष के मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही चिंता को बढ़ा दिया है। हालांकि दोनों ही दल फिलहाल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, मगर बसपा, सपा और कुछ स्थानों पर नाराज होकर निर्दलीय चुनाव में मैदान में उतरने उम्मीदवारों पर दोनों ही दलों की नजरें टिकी हुई है।
मतदान के बाद से भाजपा और कांग्रेस दोनों की दलों के नेताओं को मतदान के बढ़े प्रतिषत ने उलझा दिया है। कुछ हद तक भाजपा नेता बढ़े मतदान को लेकर निष्ंिचत है। फिर भी बूथ स्तर पर लगातार संपर्क कर जीत-हार का आकलन कर रहे हैं। दूसरी और कांग्रेस को अपने सर्वे पर भरोसा है। कांग्रेस नेता प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सर्वे को ही जीत का आधार मान रहे हैं। वोट प्रतिषत बढ़ने को लेकर वे ज्यादा नहीं सोच रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वोट प्रतिषत नहीं इस बार सरकार के प्रति मतदाता की नाराजगी देखने को मिली है। हालांकि दोनों ही दल जीत का दावा तो कर रहे हैं, मगर चिंता उनके सामने दिखाई भी दे रही है, लेकिन उसे बयां नहीं कर रहे हैं। दोनों ही दलों के सामने बसपा, सपा और निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो मैदान में डटे रहे और दोनों ही दलों की जीत की राह में बाधा बने। बसपा को लेकर भाजपा नेता उत्साहित हैं, उनका अनुमान है कि जहां-जहां ही बसपा का असर दिखेगा, वहां कांग्रेस को नुकसान है। जबकि इसके उलट कांग्रेस नेता बसपा को अपने पक्ष में फायदेमंद मान रहे हैं। कांग्रेस का फोकस अब मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों पर ज्याद है। कांग्रेस निर्दलीय उम्मीदवारों पर नजरें गढ़ाए हुए है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो छोटे दलों के बजाय वे निर्दलीय उम्मीदवारांे का सहारा लेंगे। सपा और बसपा से उन्हें साथ मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है।
बसपा को सरकार में हिस्सेदारी की उम्मीद
वहीं बसपा नेता भी मतदान के बाद से आकलन में जुटे हैं। करीब दर्जन भर सीटों पर उन्हें करारी फाइट की उम्मीद है। जीत के लिए वे आधा दर्जन स्थानों पर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। बसपा नेताओं का मानना है कि परिणाम के बाद ही साफ होगा कि उन्हें कितनी सीटें मिल रही है, लेकिन वे इस बार बसपा को वोट प्रतिषत बढ़ने और सीटों के बढ़ने को लेकर निष्ंिचत है। बसपा नेताओं का आकलन है कि प्रदेष में एक बार फिर बसपा दहाई का आकड़ा छू सकती है। वहीं कुछ नेताओं का आकलन है कि छह से दस सीटों के बीच बसपा की जीत सुनिष्चित हो सकती है। ये नेता मान रहे हैं कि इस बार बसपा की हिस्सेदारी से सरकार बनेगी। इन नेताओं का झुकाव भाजपा की ओर है। उनका कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती इस बार पांचों राज्यों के परिणाम के बाद ही कोई फैसला करेगी। मगर इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि अगर फैसला होगा तो भाजपा के साथ बसपा जा सकती है।