क्रिकेट के लिए समय, सुरंग धंसने से फंसे 41 मजदूर, हमारी संवेदनाएं कहां हैं?

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अभिमनोज. क्रिकेट के लिए बयान देने का वक्त है, बड़े-बड़े नेताओं के पास क्रिकेट मैच देखने का भी समय है, लेकिन….उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद उसमें फंसे 41 मजदूरों के बारे में सोचने का वक्त नहीं है? हमारी संवेदनाएं कहां हैं?
इसके कारण मजदूर और परिजन परेशान हैं, उनके साथियों, परिवारजन गुस्सा गुस्सा हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए दिल्ली से लाई गई ऑगर मशीन ने शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 शाम से काम करना बंद कर दिया, तो इंदौर से एक नई मशीन लाई गई है, जिसे अब सुरंग के अंदर ले जाया गया है ताकि रुके हुए काम को आगे बढ़ाया जा सके.
खबर की मानें तो…. अब हॉरिजेंटल यानी सामने से ड्रिलिंग के बजाय वर्टिकल यानी ऊपर से छेद किया जाएगा ताकि मलबे को आसानी से हटाया जा सके.
अब तक टनल के अंदर 70 मीटर में फैले मलबे में 24 मीटर छेद किया जा चुका है, यह आधा भी नहीं है इसलिए दावा किया जा रहा है कि अभी भी कम से कम 4-5 दिनों का समय मजदूरों को बाहर निकालने के लिए व्यवस्था करने में लग सकता है.
खबर यह भी है कि सात दिन बाद शनिवार, 18 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री कार्यालय के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार और उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने घटनास्थल का दौरा किया है. बचाव अभियान की रणनीति को लेकर आयोजित एक विशेष बैठक में हुए विचार-विमर्श के बाद उन्‍होंने घोषणा की कि सिलक्यारा सुरंग हादसे में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेसक्यू ऑपरेशन अब पांच मोर्चों पर चलेगा.
ज्यों-ज्यों समय गुजर रहा है, त्यों-त्यों डर बढ़ता जा रहा है.
यदि केंद्र सरकार क्रिकेट से मुक्त हो गई हो तो, गंभीरता से उन 41 मजदूरों के बारे में सोचे, जो जिंदगी और मौत के बीच फंसे हैं!

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