भाजपा, कांग्रेस अपने-अपने हिसाब से देख रहे परिणाम
भोपाल। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ने से दलों की चिंता भी बढ़ी है। खासकर इस मतदान प्रतिशत ने सत्ताधारी दल भाजपा की चिंता को ज्यादा बढ़ा दिया है। हालांकि भाजपा नेता इसे आदिवासी वर्ग के लिए सरकार के द्वारा चलाई योजनाओं का लाभ बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे लेकर आदिवासी वर्ग के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय का परिणाम बता रहे हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में अधिकांश सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। इस वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 22 सीटें ऐसी हैं, जहां पर मतदान 80 फीसदी से ज्यादा हुआ है। बढ़ा हुआ यह मतदान भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की चिंता को भी बढ़ा रहा है। इन सीटों पर खासा मतदान हुआ है, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल चिंतित हैं, मगर अपने-अपने हिसाब से बढ़े प्रतिशत का फायदा अपने दल को मिलने का दावा भी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार की खूब खबरें सामने आई थी। कांग्रेस ने इसे मुद्दा भी बनाया था। साथ ही कई बार कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर सदन और सड़क पर सरकार को घेरती नजर आई थी। अब फिर चाहे वो सीधी में आदिवासी युवक के साथ घटित घटना हो, आदिवासियों की अनूपपुर-इंदौर में पिटाई का वीडियो वायरल होना हो या आदिवासी नाबालिग दो मासूम बच्चियों के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया हो। इन सब के बीच आदिवासियों द्वारा किए गए खूब मतदान ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है। वहीं भाजपा नेताओं का मानना है कि इन सबके बाद भी आदिवासियों का साथ भाजपा को मिला तो सरकार बनना तय है। इसके पीछे उनका तर्क है कि सरकार द्वारा पेसा कानून लागू करने और इस वर्ग के लिए चलाई गई योजनाओं को लाभ भाजपा को मिलेगा। यह बढ़ा वोट भाजपा के पक्ष में जाएगा।
80 फीसदी से ज्यादा मतदान वाले विधानसभा क्षेत्र
जैतपुर में 80.95, पुश्पराजगढ़ में 80.16, सीहोरा 80.45, शहपुरा 82.33, डिंडोरी 83.39, बिछिया 82.04, निवास 82.10, मंडला 82.33, बैहर 85.16, बरघाट 88.31, लखनादौन 84.71, जुन्नारदेव 85.83, अमरवाड़ा 88.63, पांढुर्णा 86.21, घोड़ाडोंगरी 83.97, भैंसदेही 84.49, टिमरनी 84.61, बागली 81.96, राजपुर 82.35, थांदला 86.97, धरमपुरी 80.10, रतलाम ग्रामीण 86.20 फीसदी मतदान हुआ है।
भोपाल। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ने से दलों की चिंता भी बढ़ी है। खासकर इस मतदान प्रतिशत ने सत्ताधारी दल भाजपा की चिंता को ज्यादा बढ़ा दिया है। हालांकि भाजपा नेता इसे आदिवासी वर्ग के लिए सरकार के द्वारा चलाई योजनाओं का लाभ बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे लेकर आदिवासी वर्ग के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय का परिणाम बता रहे हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में अधिकांश सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। इस वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 22 सीटें ऐसी हैं, जहां पर मतदान 80 फीसदी से ज्यादा हुआ है। बढ़ा हुआ यह मतदान भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की चिंता को भी बढ़ा रहा है। इन सीटों पर खासा मतदान हुआ है, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल चिंतित हैं, मगर अपने-अपने हिसाब से बढ़े प्रतिशत का फायदा अपने दल को मिलने का दावा भी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार की खूब खबरें सामने आई थी। कांग्रेस ने इसे मुद्दा भी बनाया था। साथ ही कई बार कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर सदन और सड़क पर सरकार को घेरती नजर आई थी। अब फिर चाहे वो सीधी में आदिवासी युवक के साथ घटित घटना हो, आदिवासियों की अनूपपुर-इंदौर में पिटाई का वीडियो वायरल होना हो या आदिवासी नाबालिग दो मासूम बच्चियों के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया हो। इन सब के बीच आदिवासियों द्वारा किए गए खूब मतदान ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है। वहीं भाजपा नेताओं का मानना है कि इन सबके बाद भी आदिवासियों का साथ भाजपा को मिला तो सरकार बनना तय है। इसके पीछे उनका तर्क है कि सरकार द्वारा पेसा कानून लागू करने और इस वर्ग के लिए चलाई गई योजनाओं को लाभ भाजपा को मिलेगा। यह बढ़ा वोट भाजपा के पक्ष में जाएगा।
80 फीसदी से ज्यादा मतदान वाले विधानसभा क्षेत्र
जैतपुर में 80.95, पुश्पराजगढ़ में 80.16, सीहोरा 80.45, शहपुरा 82.33, डिंडोरी 83.39, बिछिया 82.04, निवास 82.10, मंडला 82.33, बैहर 85.16, बरघाट 88.31, लखनादौन 84.71, जुन्नारदेव 85.83, अमरवाड़ा 88.63, पांढुर्णा 86.21, घोड़ाडोंगरी 83.97, भैंसदेही 84.49, टिमरनी 84.61, बागली 81.96, राजपुर 82.35, थांदला 86.97, धरमपुरी 80.10, रतलाम ग्रामीण 86.20 फीसदी मतदान हुआ है।