नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के मसले पर आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कई बार रोके जाने के बावजूद पराली जलाए जाने पर सख्त टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के माध्य्यम से केंद्र सरकार से कहा कि जो किसान पराली जला रहे हैं, उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में किसान पराली को जलाते नहीं, बल्कि अपने हाथों से काटते हैं.
सुनवाई से पहले पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और पंजाब सरकार ने कहा कि पराली जलाए जाने को लेकर 2 करोड़ हर्जाना वसूला गया है. पंजाब सरकार ने कहा पंजाब के 6 जिले में पूरी तरीके से पराली नहीं जलाया गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे और बीमार लोग प्रभावित हो रहे हैं और पराली जलाना बदस्तूर जारी है. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि ऐसी फसलों पर इमसेंटिव दिया जाए जिनके अपशिष्ट जलाने की जरूरत ना पड़े. इंसेंटिव एमएसपी जैसा हो.
इसके बाद पंजाब सरकार ने कहा कि हमने पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है और करीब 100 एफआईआर दर्ज किया है. इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को आर्थिक लाभ क्यों मिले? सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा जो किसान पराली जला रहे हैं, उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं मिलना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि जो लोग पराली जलाने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जुर्माना केवल लगाया है? पंजाब सरकार ने कहा कि जुर्माना लगाया है और वसूला भी जा रहा है. सरकार की तरफ से जो मशीनें दी गई हैं, उस पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है. पंजाब सरकार ने कहा अन्य फसलों पर भी सब्सिडी दिए जाने की जरूरत है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक समस्या यह है कि जो लोग पराली जला रहे हैं वे यहां नहीं आएंगे. बिहार में वे इसे अपने हाथों से काटते हैं. हम समझते हैं कि जिन लोगों के पास पर्याप्त जोत है, उनके पास मशीनीकृत कटाई के साधन हैं, लेकिन छोटी जोत वाले लोग पराली जलाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं.