राजस्थान: निर्दलीय-बागियों को साधने की जुगत में भाजपा-कांग्रेस

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद अब नतीजों की बारी है. कहा जा रहा है कि दोनों ही पार्टियां निर्दलीय और बागियों को रिजल्ट के पहले ही मनाकर अपने पाले में करना चाह रही हैं. दोनों ही पार्टियों के अहम नेताओं को अन्य में शामिल निर्दलीय और बागियों को साधने की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है. कितने निर्दलीय और बागी चुनाव जीतेंगे, ये तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा, जिस दिन राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. फिलहाल, राजस्थान में सरकार बनाने में अन्य की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने वाले करीब 32 उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है, जबकि कांग्रेस के करीब 22 बागी नेताओं ने चुनावी ताल ठोकी है. दरअसल, ये वो बागी हैं, जिनका पार्टी ने टिकट काट दिया और इनकी जगह किसी और को उम्मीदवार बना दिया. इन बागियों में से ही कुछ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे. वहीं, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जो किसी पार्टी में न होते हुए, चुनावी मैदान में उतर गए. हालांकि ऐसे उम्मीदवारों की संख्या काफी कम हो सकती है.

इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया: एग्जिट पोल में अन्य को 9 से 18 सीटें दी गईं हैं. इनके अलावा, कांग्रेस को 86-106, भाजपा को 80-100 सीटें मिलती दिख रही हैं.

पोलस्टार: एग्जिट पोल में अन्य को 5 से 15 जबकि, कांग्रेस 90 से 100 और भाजपा 100 से 110 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है.

मैट्रिज: एग्जिट पोल में अन्य के सबसे ज्यादा 12 से 19 सीटें मिलती दिखाई गईं हैं, जबकि कांग्रेस को 65 से 75 और भाजपा 115 से 130 मिलने का अनुमान जताया गया है.
एबीपी-सी वोटर: एग्जिट पोल में अन्य को 9 से 19 सीटें दी गईं हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 71 से 91 और भाजपा को 94 से 114 सीटें दी गईं हैं.

2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अन्य ने सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें, जबकि भआजपा ने 73 सीटों पर कब्जा किया था. दोनों पार्टियों के बीच सीटों में बड़ा अंतर रहा था. नतीजों के बाद 12 बागी और निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया था, जिसके बाद अशोक गहलोत की मजबूत सरकार बनी.

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