नई दिल्ली. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जो ग्रामीण एक दलित महिला को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने पर मूकदर्शक बने रहे, उन पर सरकार को जुर्माना लगाना चाहिए और यह राशि पीडि़ता को दी जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर गौर करते हुए आगे कहा कि कर्नाटक सरकार को बेलगावी जिले के वंतमुरी गांव के लोगों को सजा देने या जुर्माना लगाने का प्रावधान करना चाहिए, जहां यह घटना घटी.
बेंच ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक ने उन गांवों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जहां लोग चोरी में शामिल थे. इसी प्रकार, यदि वर्तमान परिस्थितियों में अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है, तो लोग भविष्य में अधिक जिम्मेदारी दिखाएंगे.
मूकदर्शक रहना निंदनीय
अदालत ने कहा, अगर ऐसी घटनाएं होने पर लोग मूकदर्शक बन जाते हैं, तो समाज में क्या संदेश जाता है? स्वार्थ के लिए कायरता दिखाने वाले ग्रामीणों को समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. सरकार को गांव के प्रत्येक निवासी पर अतिरिक्त शुल्क लगाना होगा और जुर्माना वसूलना होगा. ऐसे समय में जब एक महिला को निर्वस्त्र किया जाता है और उसके साथ मारपीट की जाती है, तब ग्रामीणों का मूकदर्शक बने रहना निंदनीय है. अगर भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकनी हैं तो नागरिक समाज को संदेश देना होगा. इस पृष्ठभूमि में, हम जुर्माना वसूलने का आदेश दे रहे हैं.
60 से 70 लोग थे किसी ने मदद नहीं की
सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि जहांगीर नाम के व्यक्ति ने महिला की मदद की. एडवोकेट जनरल शेट्टी ने कहा, जब घटना हुई, तो वहां 60 से 70 लोग थे और ग्राम पंचायत सदस्यों सहित किसी ने भी पीडि़त की मदद करने की हिम्मत नहीं की. पीडि़ता की काउंसलिंग की गई है और बेहतर इलाज दिया जा रहा है. उसकी सेहत में रोजाना सुधार हो रहा है. सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और प्रभावी जांच के लिए इसे सीआईडी को सौंप दिया है. 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सरकार ने महिला को मुआवजे के तौर पर दो एकड़ जमीन और पाँच लाख रुपये भी दिए हैं.
पुलिसकर्मी निलंबित
मिली सूचना के मुताबिक लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों और अन्य को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने हस्तक्षेप किया होता तो यह घटना नहीं होती. बेंच ने कहा कि घटना का कोई राजनीतिक संबंध नहीं है और इसका उद्देश्य पीडि़त को न्याय दिलाना है. यह घटना 10 दिसंबर को हुई जब 42 वर्षीय महिला को उसके घर के बाहर घसीटा गया, नग्न किया गया और घुमाया गया. फिर उसे बिजली के खंभे से बांधकर मारपीट की गई. उसकी गलती यह थी कि उसका बेटा गांव की एक लड़की के साथ भाग गया था. लड़की के परिवार वालों ने लड़के की मां यातना दी.