भोपाल। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में पदस्थ की गई डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ जूनियर डॉक्टर के विरोध के चलते सरकार ने उनको 24 घंटों के भीतर ही हटाने का फैसला कर लिया।
गांधी मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में पदस्थ रही डॉ अरुणा कुमार पिछले दिनों भी विवाद में रही हैं। एक जूनियर डॉक्टर डॉ बाला सरस्वती ने आत्महत्या कर ली थी और प्रताड़ना का कथित तौर पर आरोप डा अरुणा पर लगाया था। परिणामस्वरूप उन्हें हटा दिया गया था। वे स्वास्थ्य संचालनालय में पदस्थ रही। बीते रोज जैसे ही उनकी मेडिकल कॉलेज में पदस्थापना का आदेश जारी हुआ, जूनियर डॉक्टर विरोध पर उतर आए। डा अरुणा की पदस्थापना को लकर जूडा ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और वह हड़ताल पर भी जाने की चेतावनी दे दी। इसी बीच सरकार ने अरुणा कुमार की पदस्थापना के आदेश को निरस्त कर दिया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने ट्वीट कर बताया कि विगत दिवस जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए विभागीय जांच जारी रहने तक डॉ अरुणा कुमार, प्राध्यापक स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल, का संलग्नीकरण संचालनालय चिकित्सा शिक्षा में यथावत रहेगा।
गौरतलब है कि राज्य में मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के बाद से डॉ यादव के तेवर तल्ख हैं और वे फैसला लेने में हिचक नहीं रहे हैं। गुना में हुए बस हादसे के बाद उन्होंने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के साथ परिवहन आयुक्त को हटा दिया था। उसके बाद ड्राइवर से अभद्रता करने पर शाजापुर के कलेक्टर को हटाया गया और फिर जबलपुर से शिकायत आई तो वहां के भी कलेक्टर को हटा दिया गया है।