विद्या भारती का संकल्प दृष्टि 2024 का समापन
भोपाल। हमें एक दिग्विजयी भारत, विश्व का नेतृत्व करने वाला सशक्त भारत बनाना है। हम इस दिशा में चल पड़े हैं। एक पराक्रमी भारत बनाने के लिए हम अपने आप को तिरोहित कर दें, इस बात का संकल्प लेकर हम अपने-अपने क्षेत्रों में जाएं।
यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने आज रविवार को विद्या भारती के समिति कार्यकर्ताओं से किया। वे शारदा विहार में आयोजित तीन दिवसीय प्रांतीय समिति समागम संकल्प दृष्टि 2024 के समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन दे रहे थे। इस अवसर पर विस्पुते ने कहा कि हमें समय-समय पर अपने कार्य की समीक्षा करते रहना चाहिए। हम केवल शैक्षिक संस्थान नहीं है। हम अपने ध्येय के साथ कार्य कर वैचारिक क्रांति लाने वाले संगठन है। अनगिनत समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ हमनें एक उदाप्त लक्ष्य का संकल्प लिया है। ऐसे कितने ही कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने विचार के लिये कार्य करने में जीवन को तिरोहित कर दिया। आज अपना भारत एक विशिष्ट स्थिति से गुजर रहा है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर यह भारत का अमृत काल चल रहा है। सरस्वती शिशु मंदिर योजना के भी 75 वर्ष आगामी वर्षो में पूरे होने जा रहे है। ऐसे में हमें अपने कार्य का सिंहावलोकन करना चाहिए। हम अपनी 75 वर्ष की पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं आगे हमें अपने कार्य को और कितना आगे ले जाना है। इसकी योजना करके कार्य विस्तार करना आवश्यक है।
संगठन की संस्कृति बनाए रखें
विस्पुते ने कहा कि संघर्ष में हम सजग रहते है, पर अनुकूलताओं में चूक हो जाती है, इसीलिए विजय के मार्ग पर बढ़ते समय सावधानी आवश्यक है। हमारी एक संस्कृति है उसी से हमारी पहचान होती है। हमारा अनुशासन, सादगी, मित्यवयता, प्रमाणिकता हमारी पहचान है। इसीलिए अपने संगठन की संस्कृति और कार्य बनाये रखना जरूरी है। इसमें संक्रमण रोकने की आवश्यकता है। यह हम सब की भूमिका है। इसी सावधानी के कारण आज हम विश्व के नम्बर 1 के संगठन है। हर संगठन बढ़ गया है और वह विश्व का नेतृत्व करने की स्थिति में आ गया है। हम अपनी कार्य की गुणवत्ता के साथ समाज के दीन दुखियों का उद्धार करने का विचार रखें।
विद्या भारती के माध्यम से लाएं समाज में परिवर्तन
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि लोग मुझे कई रूपों में जानते है, लेकिन मेरी मूल वृत्ति एक शिक्षक की रही है। विद्या भारती के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना है। विद्या भारती किसी प्रकार के संघर्ष, आंदोलन में विश्वास नहीं करता। वह व्यक्ति निर्माण में विश्वास करता है। अब भारत ने करवट ले ली है। सरस्वती शिशु मंदिर ने जो कार्य किया है वह देश में दिखाई दे रहा है। स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 में जब भारत विश्व गुरू बनेगा तो उसमें सरस्वती शिशु मंदिर की भूमिका भी होगी। एक राष्ट्र, एक जन का जो सपना है उसे पूरा करने में सरस्वती शिशु मंदिर का विशेष योगदान है।
भोपाल। हमें एक दिग्विजयी भारत, विश्व का नेतृत्व करने वाला सशक्त भारत बनाना है। हम इस दिशा में चल पड़े हैं। एक पराक्रमी भारत बनाने के लिए हम अपने आप को तिरोहित कर दें, इस बात का संकल्प लेकर हम अपने-अपने क्षेत्रों में जाएं।
यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने आज रविवार को विद्या भारती के समिति कार्यकर्ताओं से किया। वे शारदा विहार में आयोजित तीन दिवसीय प्रांतीय समिति समागम संकल्प दृष्टि 2024 के समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन दे रहे थे। इस अवसर पर विस्पुते ने कहा कि हमें समय-समय पर अपने कार्य की समीक्षा करते रहना चाहिए। हम केवल शैक्षिक संस्थान नहीं है। हम अपने ध्येय के साथ कार्य कर वैचारिक क्रांति लाने वाले संगठन है। अनगिनत समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ हमनें एक उदाप्त लक्ष्य का संकल्प लिया है। ऐसे कितने ही कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने विचार के लिये कार्य करने में जीवन को तिरोहित कर दिया। आज अपना भारत एक विशिष्ट स्थिति से गुजर रहा है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर यह भारत का अमृत काल चल रहा है। सरस्वती शिशु मंदिर योजना के भी 75 वर्ष आगामी वर्षो में पूरे होने जा रहे है। ऐसे में हमें अपने कार्य का सिंहावलोकन करना चाहिए। हम अपनी 75 वर्ष की पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं आगे हमें अपने कार्य को और कितना आगे ले जाना है। इसकी योजना करके कार्य विस्तार करना आवश्यक है।
संगठन की संस्कृति बनाए रखें
विस्पुते ने कहा कि संघर्ष में हम सजग रहते है, पर अनुकूलताओं में चूक हो जाती है, इसीलिए विजय के मार्ग पर बढ़ते समय सावधानी आवश्यक है। हमारी एक संस्कृति है उसी से हमारी पहचान होती है। हमारा अनुशासन, सादगी, मित्यवयता, प्रमाणिकता हमारी पहचान है। इसीलिए अपने संगठन की संस्कृति और कार्य बनाये रखना जरूरी है। इसमें संक्रमण रोकने की आवश्यकता है। यह हम सब की भूमिका है। इसी सावधानी के कारण आज हम विश्व के नम्बर 1 के संगठन है। हर संगठन बढ़ गया है और वह विश्व का नेतृत्व करने की स्थिति में आ गया है। हम अपनी कार्य की गुणवत्ता के साथ समाज के दीन दुखियों का उद्धार करने का विचार रखें।
विद्या भारती के माध्यम से लाएं समाज में परिवर्तन
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि लोग मुझे कई रूपों में जानते है, लेकिन मेरी मूल वृत्ति एक शिक्षक की रही है। विद्या भारती के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना है। विद्या भारती किसी प्रकार के संघर्ष, आंदोलन में विश्वास नहीं करता। वह व्यक्ति निर्माण में विश्वास करता है। अब भारत ने करवट ले ली है। सरस्वती शिशु मंदिर ने जो कार्य किया है वह देश में दिखाई दे रहा है। स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 में जब भारत विश्व गुरू बनेगा तो उसमें सरस्वती शिशु मंदिर की भूमिका भी होगी। एक राष्ट्र, एक जन का जो सपना है उसे पूरा करने में सरस्वती शिशु मंदिर का विशेष योगदान है।