बनाया जाएगा सांस्कृतिक, धार्मिक महत्व की गतिविधियों का कैलेंडर
भोपाल। प्रदेश में अब अंतर्राष्ट्रीय गीता एवं रामायण महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की गतिविधियों को आयोजित करने के लिए वार्षिक कैलेंडर बनाया जाएगा। आयोजनों से संतों-महात्माओं को भी जोड़ा जाए।
यह फैसला मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने पर्यटन, संस्कृति, धर्मस्व, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास, नवकरणीय ऊर्जा और संबंधित विभाग संयुक्त बैठक में अधिकारियों को दिए। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में देव स्थानों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार की जाए। भगवान श्रीराम वन गमन पथ के स्थानों पर आवश्यक सुविधाओं के विकास के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के प्रदेश में जिन स्थानों पर भ्रमण हुए हैं, वहाँ भी तीर्थयात्रियों के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोगों की भागीदारी और सहयोग से निकट भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय गीता एवं रामायण महोत्सव के आयोजन और भविष्य में देवी-देवताओं की लघु प्रतिमाओं के निर्माण के लिए इकाईयां प्रारंभ की जा सकती हैं, इससे स्थानीय निवासियों को आर्थिक उन्नयन के अवसर मिलेंगे।
देवस्थानों, पर्यटक स्थलों के विकास की बनाएं कार्ययोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से उज्जैन आए थे, यहाँ सांदीपनी आश्रम पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने चौसठ दिन में चौसठ कलाएं सीखीं थी और वेदपुराण का अध्ययन किया था। इसके साथ ही धार जिले के अमझेरा और उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील में नारायण धाम का भी विशेष महत्व है। अमझेरा में शैव और वैष्णव सम्प्रदाय के कई प्राचीन मंदिर है। इस स्थान का भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणि से संबंध है। नारायण धाम में विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण मित्र सुदामा के साथ विराजते हैं। इन स्थानों पर आवश्यक सुविधाओं और अधोसंरचनात्मक व्यवस्थाओं से पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है। इसी तरह जानापाव कुटी इंदौर-मुंबई राज्यमार्ग पर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, यह इंदौर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यह भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। प्रतिवर्ष कातिक पूर्णिमा पर यहाँ मेला भी लगता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देव स्थानों के साथ ही प्रदेश में चित्रकूट, ओरछा और अन्य महत्वपूर्ण आध्यात्मिक महत्व के स्थानों के विकास के लिए भी कार्ययोजना तैयार की जाए।